सनेमा के सरोकारों से कैथी अभिभूत
वाराणसी/चौबेपुर : गंगा और गोमती के संगम पर शुक्रवार को वो मेला लगा जो न सिर्फ कैथी की महत्ता को नमन
वाराणसी/चौबेपुर : गंगा और गोमती के संगम पर शुक्रवार को वो मेला लगा जो न सिर्फ कैथी की महत्ता को नमन करता नजर आया बल्कि लोगों को अभिभूत करता सिनेमा के सरोकारों का नया आयाम समझा गया।
मौका था पहले कैथी फिल्म फेस्टिवल के शानदार आगाज का।
सर्द दोपहरी की गुनगुनी धूप में गंगा गोमती के संगम स्थल पर फिल्मों के मेले से पूर्व पोस्टर और पुस्तक प्रदर्शनी में चिंतकों की मौन भाषा भी मुखरित हुई तो गांव की चौखट पर पहुंची साहित्यिक रोशनी से दोपहरी और चटख हो गई। लोगों में चर्चा फिल्मों की कुछ देर तक तब थम गई जब सांस्कृतिक संध्या की बेला में शिव के डमरू की डमडम से कैथी में सिनेमा, साहित्य, सरोकार व संस्कार सब एकाकार होने लगे। दीप प्रज्वलन के प्रचलित परंपरा के विपरीत किसी बड़े नामचीन हस्ती से न करवा कर कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित गांव के बुजुर्गो द्वारा कराया गया। इस मौके पर स्मारिका का भी विमोचन किया गया।
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इन कार्यक्रमों का उद्घाटन
महोसव में क्रांतिकारी सचींद्रनाथ बक्शी, स्मृति पोस्टर प्रदर्शनी, अमर शहीद अशफाकुल्लाह खान स्मृति दस्तावेज प्रदर्शनी, जनकवि धूमिल स्मृति पुस्तक प्रदर्शनी एवं कैथी मुक्ताकाशी छायाचित्र एवं कला प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया।
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कहरवा और जांघिया नृत्य
आजमगढ़ की लोक सांस्कृतिक टीम द्वारा विलुप्त प्राय: कहरवा और जाघिया नृत्य की प्रस्तुति की गई। घुंघरू और मृदंग पर लय और ताल का सामंजस्य दर्शनीय था। वाराणसी के सृजन कला मंच द्वारा कठपुतली खेल के माध्यम से सामाजिक संदेश दिया गया।
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सत्तर साल बनाम सात सवाल
'सत्तर साल बनाम सात सवाल' में बोलते हुए वक्ताओं ने देश में शिक्षा, स्वास्थ्य, कुपोषण, अपराध, रोजगार, पर्यावरण और आपसी सौहार्द आदि मुद्दों पर हुए परिवर्तन पर प्रकाश डाला। ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार बढ़ाने पर बल दिया।
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लघु फिल्म 'तीन पहिया' से आरंभ
अंधेरा होने पर लघु फिल्मों का प्रदर्शन हुआ। एक रिक्शाचालक की दिनचर्या पर आधारित लघु फिल्म 'तीन पहिया' प्रथम प्रस्तुति थी। यह फिल्म कैथी गांव के युवकों द्वारा तैयार की गई है। सभी कलाकार स्थानीय ही हैं। इसके बाद गंगा पर प्रदूषण के प्रभाव पर केंद्रित लघु फिल्म 'जीवनदायिनी गंगा' प्रदर्शित हुई। अंत में नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन पर आधारित फिल्म दिखाई गई।
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आयोजन में अहम भूमिका
कार्यक्रम के सफल संचालन में शाह आलम, गुड्डो दादी, सुभद्रा राठौर, बलराज सिंह, सुनील दत्ता, डा. आनंद प्रकाश तिवारी आदि की अहम भूमिका रही। महोत्सव के संयोजक वल्लभाचार्य पांडेय ने आयोजन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।
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आज होंगे ये कार्यक्रम
सरोद वादन, जादू कला, काव्य गोष्ठी, नाटक अमानत की प्रस्तुति के साथ ही फिल्मों का भी प्रदर्शन होगा। ओपेन थिएटर में फिल्मों को देखने के लिए ग्रामीण काफी रोमांचित दिखे।