हत्या को सज गई थी फील्ड,कप्तान की गाड़ी में घर पहुंचे
वाराणसी : राज्य मंत्री शकील अहमद को धमकी मिलने के बाद पुलिस व एसटीएफ ने जाल बिछाया है। जिस नंबर से म
वाराणसी : राज्य मंत्री शकील अहमद को धमकी मिलने के बाद पुलिस व एसटीएफ ने जाल बिछाया है। जिस नंबर से मंत्री को कॉल व संदेश आया उसकी छानबीन की जा रही है। इस नंबर को सर्विलांस पर भी लगाया गया है। इस नंबर का लोकेशन गुरुवार की रात लल्लापुरा व नई सड़क क्षेत्र में मिली थी। एसटीएफ के स्थानीय इकाई के इंस्पेक्टर विपिन राय नंबर की मानीट¨रग करते हुए लल्लापुरा पहुंचे। खास बात यह रही कि लोकेशन रह रह टावर के अनुरूप बदलती रही। एसटीएफ ने मंत्री को भी सतर्क किया। एसएसपी ने खुद मंत्री से बात की और उनका लोकेशन पूछा। उस वक्त मंत्री नई सड़क स्थित एक रेस्टोरेंट में बैठे हुए थे। एसएसपी खुद मौके पर पहुंचे और उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। आसपास के थानों की फोर्स भी मौके पर पहुंच गई। मंत्री को बताया गया कि उनकी हत्या के लिए बदमाशों ने फील्ड सजाई है। इसके बाद एसएसपी ने मंत्री को अपनी गाड़ी में बैठाया और बेनियाबाग में रिहायशी कांप्लेक्स स्थित उनके घर ले गए। एसएसपी ने अंजान व ज्यादा लोगों से न मिलने की हिदायत दी। धमकी के बाद मंत्री व उनका परिवार सहमा हुआ है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस मामले में चौक और चेतगंज पुलिस ने देर रात आधा दर्जन लोगों को थाने ले आई और पूछताछ की, वहीं एसटीएफ के देर रात तक छापामारी की सूचना रही।
आम से खास का सफर
मंत्री शकील अहमद के पिता बिहार से शहर में आए थे। दालमंडी में परिवार के साथ रहते थे। खिलौने के कारोबार से जुड़ने के साथ पिता मशहूर शहनाई वादक व भारत रत्न बिस्मिल्लाह खां के निजी सचिव रहे। बचपन से फुटबाल खेलने की रूचि ने मंत्री को राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी बना दिया। इसके बाद राजनीति में कदम रखा और पार्षद का चुनाव भी लड़ा। चुनाव में पराजित भले हुए लेकिन नीचे से ऊपर उठे और समाजवादी पार्टी में उनका रुतबा बढ़ने लगा। इसी बीच नगर विकास मंत्री आजम खां से उनकी नजदीकी बढ़ी। शहर में शकील ने आजम खां के कार्यक्रम कराए। आजम खां ने जब अमर सिंह के चलते सपा छोड़ी तो शकील भी उनके साथ हो लिए। बाद में आजम खां मंत्री बने तो शकील को भी राज्य मंत्री का दर्जा दिलाया। मंत्री ने मुगलसराय में जमीन लेकर वहां पारवलूम भी बैठाया।
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रंगदारी के गैंगवार में जा चुकी है कई की जान
बेनियाबाग, दालमंडी व सराय हड़हा क्षेत्र रंगदारी वसूली के लिए चर्चित है। इसको लेकर गैंगवार में जनप्रतिनिधि व कुख्यातों की जान जा चुकी है। क्षेत्र में जितने मकान, कटरे का निर्माण होते हैं उसमें हिस्सा लेने वाले कई गिरोह सक्रिय हैं। इसमें सबसे पहले पियरी के हैदर ने वसूली में अपनी पैठ बनाई। जब दूसरा गिरोह इसमें घुसा तो हैदर ने सनी को पाला। वहीं सनी जिसे एसटीएफ ने राजकीय महिला अस्पताल में भुठभेड़ में मारा था। इसके बाद हैदर की भी मीरजापुर में प्रतिद्वंद्वी गुट ने हत्या कर दी थी। इस मामले में बेनिया के पार्षद अरशद खां उर्फ विक्की खां व राजू मामा को नामजद किया गया था। वर्ष 2004 में पार्षद कमाल की दालमंडी में व वर्ष 2005 में सोनू मिर्जा की हत्या भी इसी की कड़ी थी। पुलिस वसूली के इस खेल को जानती है लेकिन हस्तक्षेप नहीं करती है। गैंगवार के अलावा पार्षद विक्की के भाई हसीन पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। मंत्री के भाई शेखू उर्फ शोएब की भी इसी कड़ी में माह सितंबर 2012 में गुदड़ी बाजार मोड़ पर हत्या कर दी गई थी। जानकारी के मुताबिक शेखू मनबढ़ था और अपने आगे किसी को वसूली के मैदान में चलने नही देता था। उसकी हत्या की साजिश चर्चित शानू ने ही रची थी। भाई की हत्या के बाद मंत्री ने भी सुरक्षा ले ली।