घाटों की सफाई नहीं करने वाली संस्थाएं विदा
वाराणसी : घाटों की स्वच्छता के लिए संजीदा होने का दावा करने वाले नगर निगम ने भी कभी इस बात की निगरान
वाराणसी : घाटों की स्वच्छता के लिए संजीदा होने का दावा करने वाले नगर निगम ने भी कभी इस बात की निगरानी नहीं की, कि जो लोग स्वच्छ करने का दावा कर घाटों को गोद ले रहे हैं, उन्होंने कुछ किया भी या नहीं। जब कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने बैठक कर नगर निगम को फटकार लगाई तो वह जागा और आनन-फानन सभी घाटों की सूची मंगवाकर संज्ञान में लिया।
हाल यह है कि गंगा घाटों पर गंदगी आम है। कहीं भी सफाई नहीं है। पर्यटक नाक बंद कर उधर से गुजरते हैं। संस्थाओं द्वारा कार्य के प्रति ईमानदारी नहीं बरतने पर नगर निगम ने दोबारा नई संस्थाओं को घाटों की सफाई का जिम्मा सौंपा है। इतना ही नहीं शुक्रवार को इसकी लिस्ट भी चस्पा कर दी। इसमें दर्जन भर ऐसी कंपनियों व संस्थाओं को मौका नहीं दिया गया जिन्होंने गोद लिए 24 घाटों पर कोई काम नहीं किया। अब उन घाटों को नए सिरे से संस्थाओं को गोद दिया गया। महापौर रामगोपाल मोहले भी पूर्व की संस्थाओं की लापरवाही के प्रति नाराजगी जाहिर की। नए सिरे से तय संस्थाओं को ताकीद किया कि वे स्वच्छता अभियान के प्रति सचेत रहें। कहना था कि अब किसी कंपनी या संगठन को केवल अपना नाम करने के लिए घाट या कुंड गोद नहीं दिए जाएंगे।
पीएनबी ने जिम्मेदारी से हाथ किए खड़े
पंजाब नेशनल बैंक घाट को स्वच्छ करने के अपने वादे से तब मुकर गया जब उसे पता चला कि वहा जमी मिट्टी को हटाने में 20 लाख रुपये खर्च होंगे। पहले तो बैंक ने हामी भर दी। पर जब सुलभ इंटरनेशनल ने मिट्टी हटाने का पूरा खाका खींच लिया और बैंक से पैसों की माग की तो बैंक पीछे हट गया। घाटों को स्वच्छ करने का दावा करने वाली अधिकतर संस्थाओं की यही कहानी है। पीएम मोदी के स्वच्छता कार्यक्रम से जुड़कर संस्थाओं ने अपना नाम तो कर लिया, लेकिन घाटों को स्वच्छ करने के लिये जब पैसा लगाने की बात आई तो उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया।
नई संस्थाओं को दिये गए ये घाट
रीवा घाट व गंगा महल घाट को पंजाब नेशनल बैंक से लेकर हंस फाउंडेशन को दिया गया है। त्रिलोचन और बद्री नारायण घाट को एसबीआइ से लेकर यूनियन बैंक को, गाय घाट को स्टेट बैंक से और लाल घाट को ओरियंटल बैंक से लेकर बैंक ऑफ बड़ौदा को, मुंशी घाट को होटल क्लार्क व दरभंगा घाट को मैथिल समाज से लेकर दरभंगा पैलेस को, नारदघाट को इंडियन ओवरसीज बैंक से लेकर देव एक्सल फाउंडेशन को, चौकी घाट को श्वास समाज सेवा समिति से लेकर एलआइसी को, केदार घाट को गंगा सेवा अभियानम् से लेकर गंगोत्री सेवा निधि को गुलरिया घाट को होटल जुकासो से लेकर डीएस ग्रुप, शिवाला घाट को आशा प्राइवेट इंडस्ट्रीज व महानिर्वाणी घाट, निरंजनी अखाड़ा और चेतसिंह घाट को केनरा बैंक से लेकर डीएस को दिया गया है।
बूंदी परकोटा घाट की सफाई का जिम्मा समर्थ से लेकर नगर निगम ने खुद साफ करने का फैसला किया है। इसके अलावा पंचगंगा व मेहता घाट को आशा ई. इंस्टीट्यूट, गंगा महल घाट को बैंक ऑफ इंडिया व पाण्डेय घाट को श्वास समाज सेवा समिति ने साफ करने से हाथ खींच लिया है। इन घाटों की सफाई अब नगर निगम करेगा।
जलमार्ग प्राधिकरण करेगा सम्मानित
भारतीय जलमार्ग प्राधिकरण ऐसी संस्थाओं व कंपनियों को सम्मानित करेगा जिन्होंने घाटों को गोद लेकर उनकी कायाकल्प करने का काम किया। प्राधिकरण के लोगों ने इस मामले में शुक्रवार को महापौर संग बैठक की। उनका कहना था कि चूंकि व्यावसायिक उपयोग होने से दशाश्वमेध से लेकर अस्सी घाट तक तो लगता है कि कुछ काम हुआ है, लेकिन बाकी घाटों पर स्वच्छता नहीं दिखती। महापौर ने बताया कि इसके लिए उन सभी घाटों की सही स्थिति जाची जाएगी जिन्हें गोद दिया गया था।