आंदोलन के लिए पुराने फैसले को बनाएंगे हथियार
वाराणसी : स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद वर्ष 2009 में प्रतिमा विसर्जन को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के एक
वाराणसी : स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद वर्ष 2009 में प्रतिमा विसर्जन को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को अपने आंदोलन का हथियार बनाएंगे।
प्रतिमाओं के गंगा में विसर्जन न करने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे स्वामी अविमुक्तेश्वरांनद ने एक पुराने फैसले को ही अपने आंदोलन का हथियार बनाया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में आर्टिकल 25 यानि परंपराओं के तहत विसर्जन की बात कही गई है। स्वामीजी इस फैसले की विस्तृत कॉपी सुप्रीम कोर्ट से हासिल करने की दिशा में जुट गए हैं। इसकी कॉपी मिलने के बाद हाइकोर्ट में एक बार फिर गुहार लगाएंगे।
स्वामी अविमुक्तेश्वरांनद ने बताया कि वर्ष 2009 में दिल्ली के सालेक जैन ने आर्टिकल 21 के तहत यमुना में बढ़ रहे प्रदूषण के बाबत वहां प्रतिमा विसर्जन पर रोक लगाने की अर्जी दाखिल की थी। तत्कालीन चीफ जस्टिस केजी बाला कृष्णनन और जस्टिस पंचाल की बेंच ने आर्टिकल 25 यानि परंपराओं के निवर्हन का हवाला देते हुए खारिज कर दिया था। इसलिए अब दोबारा इस संदर्भ में कोई याचिका दायर नहीं हो सकती। इस फैसले को आधार बनाते हुए इसकी विस्तृत कॉपी सुप्रीम कोर्ट से मांगी गई है। कॉपी मिलने के बाद स्वामीजी हाइकोर्ट में एक बार फिर प्रतिमा विसर्जन पर अपना पक्ष रखने के लिए अर्जी लगाएंगे।