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आंदोलन में महिलाएं व युवतियां भी कूदीं

वाराणसी : बीएचयू के जल एवं विद्युत विभाग द्वारा निष्कासित संविदा कर्मचारियों का सिंहद्वार पर पिछले 2

By Edited By: Published: Tue, 01 Sep 2015 01:37 AM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2015 01:37 AM (IST)
आंदोलन में महिलाएं व युवतियां भी कूदीं

वाराणसी : बीएचयू के जल एवं विद्युत विभाग द्वारा निष्कासित संविदा कर्मचारियों का सिंहद्वार पर पिछले 24 अगस्त से चल रहा आदोलन आठवें दिन सोमवार को भी जारी रहा। आंदोलन में अब कर्मचारियों के परिवार की महिलाएं एवं युवतियां भी कूद पड़ी हैं। आरोप है कि विभाग में कार्यरत 40 संविदा कर्मचारियों को बिना किसी नोटिस के कार्यमुक्त कर दिया गया है। वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किया था। सिंहद्वार छावनी के रूप में तब्दील हो गया था।

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बताया जा रहा है कि आदोलनकारियों में 2 वर्ष से लेकर 20 वर्ष तक सेवाएं देने वाले कर्मचारी भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि भूख हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों के स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आ रही है। सोमवार को उनके घरों की महिलाएं, बूढ़े बच्चे सभी अनशनस्थल पर पंहुच गए थे। उनमें बीएचयू प्रशासन के खिलाफ आक्रोश था। भूख हड़ताल पर बैठने वालों में सन्नी बिरहा, छबिनाथ सिंह, उमेश गिरी, उपेंद्र कुमार, सुनील कुमार आदि का नाम शामिल है। इस मौके पर मनोज कुमार, रजनी सिंह, हिमाशु शेखर, विशाल मिश्रा, शैलेन्द्र सिंह, महेश उदित, स्वतंत्र कुमार, विनय सिंह, चिंतामणि सेठ, चंदन पटेल, मनोज कुमार, गोरखनाथ, राहुल पांडेय आदि मौजूद थे।

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बढ़ता ही जा रहा समर्थन

वाराणसी : संविदा कर्मचारियों को समर्थन देने वालों में साझा संस्कृति मंच, युवक कांग्रेस, ठेला पटरी यूनियन, भगत सिंह छात्र मोर्चा, आग्रह पत्रिका, आम आदमी पार्टी की ओर से वल्लभाचार्य पांडेय, नीता चौबे, राघवेन्द्र चौबे, ओम शुक्ल, चंचल शर्मा, धनंजय त्रिपाठी, एकता, चिंतामणि सेठ, विनय सिंह, शिवाग शेखर, शैलेश, नरेश राम, विनय शुक्ल, शिखा, मंजू, रवि शेखर, राकेश मिढ्डा आदि शामिल रहे।

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बीएचयू प्रशासन ने रखा अपना पक्ष

वाराणसी : आंदोलनकारियों को लेकर बीएचयू प्रशासन ने अपना रूख स्पष्ट कर दिया है। प्रशासन ने साफ कर दिया है कि वह आंदोलन खत्म करने की शर्त पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर सकता है। बताया जा रहा है कि किसी भी पद पर स्थायी नियुक्ति होने के बाद दैनिक वेतनभोगी कर्मियों की सेवाएं स्वत: ही समाप्त हो जाती हैं। प्रशासन ने इस आंदोलन को अनुचित करार दिया है।


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