दो सौ साल पुराने बुलानाला बाजार में दुर्व्यवस्थाएं हजार
बुलानाला बाजार का हाल ----------------- वाराणसी : करीब एक किलोमीटर क्षेत्र में 900 से अधिक दुकान
बुलानाला बाजार का हाल
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वाराणसी : करीब एक किलोमीटर क्षेत्र में 900 से अधिक दुकानों को अपने में समेटे है बुलानाला बाजार। देखें तो बुनियादी सुविधाओं के मोर्चे पर यहां का हाल भी नगर के अन्य बाजारों से कुछ जुदा नहीं। दो सौ साल से अधिक पुराने इस बाजार में अब तक पार्किग का न होना सबसे बड़ी समस्या है। इसका सीधा असर कारोबार पर पड़ रहा है। बाजार प्रदेश सरकार के खजाने में टैक्स के रूप में सालाना करोड़ रुपये जमा करता है, बावजूद इसके, इसे कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई गई है।
जब आप इस बाजार की ओर रुख करेंगे तो पैदल चलना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि सड़क के दोनों ओर दुकानों के बाहर काफी संख्या में दो पहिया वाहन खड़े मिल जाएंगे। कुछ स्थानों पर चार पहिया भी। लगभग तीस फीट चौड़ी सड़क पर जब दोनों ओर वाहन खड़े रहेंगे तो भला आप कैसे आराम से चल पाएंगे। इसकी मुख्य वजह है बाजार में पार्किंग की कोई व्यवस्था का न होना। कुछ स्थानों पर अतिक्रमण भी है। इसके चलते जब तब जाम लग जाता है। पेयजल सहित अन्य कई बुनियादी सुविधाएं न होने से यहां के दुकानदार ही नहीं, बाहर से आने वाले व्यापारी भी दुश्वारियों से दो चार होते रहते हैं।
बुलानाला मार्ग पर सुबह से देर शाम तक जाम की समस्या बनी रहती है। सकरी सड़क और दोनों साइड वाहनों की पार्किग बड़ा कारण है, बगैर इस पर अंकुश हालत नहीं बदलेंगे।
बाजार में सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है। यही वजह है कि आए दिन लूट की घटनाएं होती हैं। अभी दो दिन पूर्व ही बदमाशों ने क्षेत्र में घटना को अंजाम दिया। वे दिनदहाड़े लाखों रुपये लूट कर भाग निकाले।
क्षेत्र में पार्किग की बहुत ही गंभीर समस्या है। पार्किग न होने से लोग सड़क किनारे बेतरतीब वाहन खड़ा कर देते हैं जो जाम का कारण बनता है। उधर से गुजरना कठिन होता है।
इस रास्ते से प्रतिदिन हजारों हजार की संख्या में लोगों का आवागमन है। सुबह से देर शाम तक सड़क पर खरीदारों व राहगीरों की भीड़ रहती है। ऐसे में क्षेत्र में एक भी शौचालय नहीं है, जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
बाजार की सफाई व्यवस्था लचर है। सफाई कर्मी नियमित आते हैं, लेकिन सिर्फ कोरम पूरा करते हैं। कूड़ा का उठान रोज नहीं होता है। इसका असर स्वास्थ्य के साथ ही कारोबार भी पड़ रहा है।
इस मार्केट में स्थानीय के साथ ही आसपास जनपदों से प्रतिदिन हजारों की संख्या में व्यापारी व ग्राहक आते हैं लेकिन पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है।
मैदागिन-बुलानाला मार्ग की लचर यातायात व्यवस्था का खामियाजा स्थानीय दुकानदार, बाशिंदे और राहगीरों को भुगतना पड़ता है। इस गंभीर समस्या का निदान बेहद जरूरी है।
इस बाजार में जाम की एक वजह अतिक्रमण भी है। कुछ दुकानदारों की मनमानी के कारण अन्य कारोबारी प्रभावित होते हैं।
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कारोबारी बोले : क्षेत्र में पार्किंग होना जरूरी - बुलानाला क्षेत्र से तो जिला प्रशासन ने जैसे मुंह ही फेर लिया है। शिकायत का भी कोई मतलब नहीं रहा। मार्केट में पार्किग न होना सबसे बड़ी समस्या है। इससे ग्राहकों व दुकानदारों को काफी परेशानी होती है। रोजाना यहां लगभग हजारों की संख्या में लोग आते हैं। क्षेत्र में कार, स्कूटर, बाइक व साइकिलें बेतरतीब खड़ी होने से पैदल चलना मुश्किल है।
-राजेश सोनी, महासचिव, इलेक्ट्रानिक्स डीलर्स एसोसिएशन।
शौचालय निर्माण होना जरूरी
बाजार क्षेत्र में एक शौचालय होना चाहिए। यहां रोजाना हजारों की संख्या में लोग आते हैं। इसमें स्थानीय खरीदार के साथ ही बाहर के व्यापारी भी होते हैं। शौचालय न होने से परेशानी है। नगर निगम को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
- जीतेंद्र यादव, व्यवसायी।
हो प्रकाश व्यवस्था
ग्राहकों से गुलजार रहने वाले इस बाजार में प्रकाश व्यवस्था काफी बदतर है। ज्यादातर प्वाइंट के हाइलोजन खराब पड़े हैं। दुकानें बंद होने के बाद क्षेत्र में अंधेरा व सन्नाटा छा जाता है। आलोक व्यवस्था में सुधार होना चाहिए।
- राजेश शुक्ला, व्यवसायी।
मिले जाम से मुक्ति
सुबह से देर शाम तक बाजार खरीदारों से गुलजार रहता है। इसमें स्थानीय के साथ ही ज्यादा बाहर के व्यापारी होते हैं। बावजूद यहां पार्किंग का नहीं है। जिला प्रशासन को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए।
- राजन कुमार, व्यवसायी।
बुनियादी सुविधाओं का टोटा
बाजार में बुनियादी सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है जबकि प्रदेश सरकार को व्यापारी, प्रतिमाह एक करोड़ रुपये से ज्यादा राजस्व दे रहे हैं। फिर भी यहां पेयजल, शौचालय आदि की सुविधा नहीं है।
- रमन गुलाटी, व्यवसायी।
ट्रैफिक प्लानिंग जरूरी
क्षेत्र की यातायात व्यवस्था पर ध्यान देने की जरूरत है। यहां जो भी खरीदार आते हैं वह अपनी बाइक व साइकिल खड़ी कर खरीदारी में जुट जाते हैं। सड़क की चौड़ाई कम होने से जाम लग जाता है।
- गौतम अरोड़ा, व्यवसायी।
नियमित हो सफाई
नियमित सफाई न होने से स्थिति बदतर है। नगर निगम अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए। इस संबंध में कई बार शिकायत तो की गई लेकिन कोई असर नहीं पड़ा।
- अजय तिवारी, व्यवसायी।