भाव-भंगिमाओं से दर्शाया शिव-पार्वती विवाह
वाराणसी : हिमालय की वादियों में विवाह का मंडप सजा था। फूलों की सजावट व आकर्षक रंगोली लोगों का मन मोह
वाराणसी : हिमालय की वादियों में विवाह का मंडप सजा था। फूलों की सजावट व आकर्षक रंगोली लोगों का मन मोह रही थी। वर की प्रतीक्षा हो रही थी, तभी अपनी प्रभावशाली आभा के साथ वर के रूप में भगवान शिव वहां पहुंचे और वधू बनीं पार्वती को जीवनसंगिनी के रूप में अंगीकार किया।
शिव-पार्वती विवाह का यह दृश्य नृत्य रूपक 'उमा परिणयम्' के जरिये शुक्रवार को बीएचयू स्थित संगीत एवं मंचकला संकाय के ओंकारनाथ ठाकुर सभागार में कलाकारों ने प्रस्तुत किया। शताब्दी समारोह समिति के तत्वावधान में आयोजित नृत्य रूपक की शुरुआत अप्सराओं द्वारा हिमालय दर्शन एवं उमा जन्म के वर्णन से हुई। शिव पार्वती विवाह के लिए पुष्पों का अलंकरण, रंगोली, मंडप, यज्ञ आदि का निर्माण तथा शिव का वर रूप में प्रवेश अत्यंत प्रभावशाली था। नृत्य विभाग द्वारा प्रस्तुत नृत्य रूपक महाकवि कालिदास रचित 'कुमारसंभवम्' के सप्तम सर्ग तक की कथा है। रचना के श्लोकों को नृत्य के कथानक के माध्यम से प्रस्तुत करना एक दुरूह कार्य है तथापि कलाकारों ने सामंजस्य एवं प्रवाह के साथ गतिशीलता बनाए रखी।
नृत्य नाटिका का निर्देशन नृत्य विभाग के अध्यक्ष प्रेमचंद्र हंबल ने किया। बृजमोहन यादव (शिव), ईशा नागर (पार्वती), कर्मवीर सिंह (कामदेव एवं हिमालय), अनन्या त्रिपाठी (रति) सहित सभी कलाकारों ने प्रभावशाली प्रस्तुति दी। संगीत निर्देशन रक्षपाल वर्मा एवं पं. सिद्धराम स्वामी कोरवार की थी। शताब्दी समारोह प्रकोष्ठ के अध्यक्ष प्रो. पीसी उपाध्याय एवं इमेरिटस प्रो. टीवी रामाकृष्णन ने सास्कृतिक उत्सवों के औपचारिक उद्घाटन की घोषणा की। विशेष कार्याधिकारी, डा. विश्वनाथ पांडेय ने उत्सव के प्रारूप पर प्रकाश डाला।