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पित्ताशय कैंसर के कारक टाइफाइड के जीवाणु

वाराणसी : माइक्रोबायोलॉजी विभाग (बीएचयू) के प्रो. गोपालनाथ एवं नीदरलैंड के प्रो. जेक्स नेफजेस के निर

By Edited By: Published: Thu, 28 May 2015 08:25 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2015 08:25 PM (IST)
पित्ताशय कैंसर के कारक टाइफाइड के जीवाणु

वाराणसी : माइक्रोबायोलॉजी विभाग (बीएचयू) के प्रो. गोपालनाथ एवं नीदरलैंड के प्रो. जेक्स नेफजेस के निर्देशन में हुए शोध में पाया गया है कि पित्ताशय कैंसर का कारण टाइफाइड के जीवाणुओं का संक्रमण है। एंटीबायोटिक वैक्सीन, शुद्ध जल एवं भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित कर भारतीय उपमहाद्वीप में टाइफाइड के संक्रमण को रोका जा सकता है अंतत: पित्ताशय कैंसर पर भी नियंत्रण संभव है।

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प्रो. नाथ बताते हैं कि इस कैंसर से उत्तर भारत एवं पाकिस्तान के लोग सबसे अधिक पीड़ित हैं। क्योंकि टायफायड का कारक जीवाणु सालकोनेला टाइफी भी इसी भूभाग में सर्वाधिक पाया जाता हैं। प्रो. नाथ ने बताया कि अब तक यह माना जाता रहा है कि विषाणु व्यक्ति के क्रोमोजोम में गड़बड़ी पैदा कर देते हैं, जिससे कैंसर होता है। इस शोध से यह भी साबित हुआ है कि जीवाणुओं का संक्रमण सीधे कैंसर उत्पन्न कर सकता है।

वे बताते हैं कि ये विषाणु पीड़ित व्यक्ति में कैंसर उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं के रासायनिक तंत्र को उत्प्रेरित कर देते हैं। कहते हैं कि पित्ताशय का कैंसर शुरुआती दौर में पकड़ में नहीं आ पाता है। जब तक इसका निदान हो तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। बताया कि जब भारतीय एवं डच (नीदरलैंड) के पित्ताशय कैंसर के मरीजों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया तो यह मिला कि सी-माइक जीन में गड़बड़िया केवल भारतीय मरीजों में थीं। शोध में चिकित्सा विज्ञान संस्थान के प्रो. वीके शुक्ला, प्रो. मोहन कुमार व डा. चंद्रभान प्रताप आदि ने सहयोग किया है।


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