जेपी ग्रुप ने भी कूड़ा प्रबंधन में ली दिलचस्पी
वाराणसी : जिलाधिकारी प्रांजल यादव के निर्देश के बाद करसड़ा स्थित ठोस कचरा प्रसंस्करण प्लांट के संचालन
वाराणसी : जिलाधिकारी प्रांजल यादव के निर्देश के बाद करसड़ा स्थित ठोस कचरा प्रसंस्करण प्लांट के संचालन को लेकर कवायद तेज कर दी गई है। खास यह कि नगर में कूड़ा प्रबंधन के मसले पर जेपी ग्रुप ने भी दिलचस्पी दिखाई है। कंपनी के अधिकारियों ने जिलाधिकारी प्रांजल यादव से मंशा जाहिर की तो डीएम ने उन्हें भी करसड़ा प्लांट के भ्रमण के लिए बुलाया था। इसी क्रम में शुक्रवार को चुनार स्थित जेपी सीमेंट फैक्ट्री के वाइस प्रेसिडेंट अशोक शर्मा व सहयोगी अधिकारी पंकज कुमार करसड़ा स्थित प्लांट पर पहुंचे थे हालांकि प्रदेश राजस्व मंत्री शिवपाल यादव संग वीडियो कांफ्रेसिंग के कारण डीएम प्लांट पर नहीं पहुंच सके।
इन सबके बीच कंपनी के अधिकारियों ने नगर आयुक्त उमाकांत त्रिपाठी संग प्लांट का निरीक्षण किया। इसके बाद रमना स्थित कूड़ा डंपिंग क्षेत्र का भी भ्रमण किया। अपर नगर आयुक्त ने बताया कि चंडीगढ़ में कूड़ा प्रबंधन की जिम्मेदारी जेपी ग्रुप ने निभाई है। इसी अनुभव के आधार पर उन्होंने बनारस में भी कूड़ा प्रबंधन में सहयोग देने में दिलचस्पी दिखाई है। बताया कि कंपनी कूड़े से फ्यूल बनाती है। इसी मंशा से डीएम से वार्ता हुई है। करसड़ा पहुंचे अधिकारियों में एडीएम सिटी विंध्यवासिनी राय, एसडीएम राजातालाब, सीएंडडीएस के प्रोजेक्ट मैनेजर व जनरल मैनेजर आदि प्रमुख थे। ज्ञात हो कि जिलाधिकारी प्रांजल यादव ने हर हाल में 18 अप्रैल से करसड़ा प्लांट को संचालित करने का आदेश दे रखा है।
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हटाया गया कबाड़ व कूड़ा
प्लांट में पहुंचे प्रशिक्षु आपरेटरों ने यहां जिम्मेदारी संभाल ली है। उनके सहयोग में बी-टेक के छात्र भी पहुंच गए हैं। मशीनों की सफाई के साथ ही उसके संचालन का हुनर आपरेटर सीख रहे हैं। शुक्रवार को प्लांट परिसर में खड़ी गाड़ियों को किनारे किया गया। अपर नगर आयुक्त ने बताया कि सफाई कार्य पूरा हो गया है। अब मशीन चलाने की कवायद की जाएगी। प्लांट की चहारदीवारी जिसका कुछ हिस्सा ध्वस्त हो गया है, आगे उसका निर्माण भी कराया जाएगा।
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हमें बनारस में खतरा : एटूजेड
जिलाधिकारी ने निर्देश दिया था कि नगर निगम व सीएंडडीएस के अधिकारी, एटूजेड कंपनी के अधिकारियों से वार्ता कर अनुबंध के मसले को हल करें। इसके लिए 17 अप्रैल को एटूजेड के अधिकारियों को बुलाया गया था लेकिन वे नहीं आए। इसके बदले पत्र भेजा है कि बनारस में उनके बकाएदारों की संख्या ज्यादा है इसलिए उनको खतरा है। नगर निगम कंपनी के बकाए का भुगतान कर दे ताकि कंपनी अपने बकाएदारों का हिसाब कर सके। इसके बाद ही बनारस में अधिकारियों का आना संभव होगा।