तीन हस्तशिल्पों को मिला बौद्धिक संपदा अधिकार का दर्जा
वाराणसी : प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हस्तशिल्प और हथकरधा निर्मित उत्प
वाराणसी : प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हस्तशिल्प और हथकरधा निर्मित उत्पादों के कारोबार में आ रहे अवरोधक दूर होने लगे हैं। अब वाराणसी समेत पूर्वाचल के हस्तनिर्मित उत्पादों की विश्व क्षितिज पर अपनी अलग पहचान बन सकेगी क्योंकि वाराणसी अब भौगोलिक उपदर्शन (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) जीआई पंजीकरण द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकार केलिए देश का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है। गुरुवार की शाम भारत सरकार के भौगोलिक उपदर्शन विभाग के रजिस्ट्रार द्वारा वाराणसी के तीन और हस्तशिल्प को बौद्धिक संपदा अधिकार के तहत भौगोलिक उपदर्शन में पंजीकृत कर लिया गया। वाराणसी के तीन हस्तशिल्पों में गुलाबी मीनाकारी, लकड़ी का खिलौना और मीरजापुर की दरी को जीआई का प्रमाण पत्र मिल गया है। अब यहा के पाच हस्तशिल्प जीआई प्रमाणपत्र धारक हो गए हैं।
बनारसी साड़ी, भदोही की हस्तनिर्मित कालीन समेत गुलाबी मीनाकारी, लकड़ी का खिलौना, हस्तनिर्मित दरी को भौगोलिक उपदर्शन (जीआई) का दर्जा मिलने के बाद वाराणसी देश का पहला ऐसा शहर बन गया है जहा पाच हस्तशिल्प को बौद्धिक संपदा का दर्जा मिला है। वाराणसी में हस्तशिल्प और हथकरधा उत्पादों के लिए संघर्ष करने वाली संस्था ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन के निदेशक डा. रजनीकात ने शुक्रवार को पत्र प्रतिनिधियों को बताया कि अब तीन और हस्तनिर्मित वस्तुओं को जीआई मिलने के बाद देश-विदेश में इनकी मागें बढ़ने के साथ वाराणसी समेत पूर्वाचल के कारोबार में और भी निखार आएगा।
उन्होंने बताया कि यहा की कारीगरी को अब विश्व पटल पर स्थान मिल चुका है। वाराणसी की बिनकारी और कारीगरी के दुनियाभर में कद्रदान हैं यहा के हस्तनिर्मित उत्पादों पर चीन निर्मित उत्पादों से खतरा कम हो गया है।