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चैत की शाम बिखरे गीत गुलाब

वाराणसी : चैत की मोहक शाम में शनिवार को गीत-गुलाब बिखरे। श्वेत- गुलाबी परिधान पर फबती दुपलिया टोपी औ

By Edited By: Published: Sun, 29 Mar 2015 01:19 AM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2015 01:19 AM (IST)
चैत की शाम बिखरे गीत गुलाब

वाराणसी : चैत की मोहक शाम में शनिवार को गीत-गुलाब बिखरे। श्वेत- गुलाबी परिधान पर फबती दुपलिया टोपी और दुपट्टा। इस माहौल में शास्त्रीय सुर -ताल की झंकार गूंजी और गुलाब की पंखुड़ियों की तरह ही बनारसी शान निखर उठी। मौका था कला प्रकाश व बनारस बीड्स लिमिटेड द्वारा रवींद्रपुरी में आयोजित गुलाबबाड़ी का।

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पद्मभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र ने गायकी का गुलदस्ता सजाया। राग हेम विलंबित एक ताल में 'ऐ तुम बिन मैका कलन परत..', मध्य लय में 'सजनवा संग लागली..' सुनाकर झूमने पर विवश किया। चइती 'कइसे सजन घर जइबे हो रामा..', चइता 'अवध में बाजे ला हो रामा..', घाटो 'जोगी संगवा जइबे जोगिनिया हो रामा..' से गायकी का सधा अंदाज दिखाया। 'होली खेले नंद कुमार ..', 'देखो नंदलाल मोरी बइयां मुरुक गई..' समेत होरी की बंदिशों से विभोर कर दिया। इससे पहले पं.अशोक पांडेय व पं. सुखदेव मिश्र ने तबला व वायलिन पर युगलबंदी की। राग जोग आदि ताल में बंदिश बजाई। अशोक पांडेय ने तबले की थाप से घोड़े की टाप व सीताराम की धुन गुंजाई। मिश्र खमाज में दादरा 'डगर बिन कैसे चलूं..' का भी वादन किया। पं. माता प्रसाद मिश्र, उनके पुत्र रूद्रशंकर व शिष्या अवंतिका ने कथक में उठान, परन, आमद, टुकड़ा प्रस्तुत किया। बनारस घराने की पुरानी बंदिशें व भजन के भाव सजाए। इससे पहले बैंक आफ बड़ौदा की डीजीएम पूर्णिमा बनर्जी, अशोक कुमार गुप्ता व अशोक कपूर ने दीप प्रज्जवलन किया। संचालन अनूप अग्रवाल ने किया।


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