बीएचयू व क्योटो विवि के बीच शैक्षणिक समझौता
वाराणसी : जापान के पुराने शहर क्योटो की तर्ज पर काशी की दशा सुधरेगी, जरूर सुधरेगी। प्राचीन और जीवंत
वाराणसी : जापान के पुराने शहर क्योटो की तर्ज पर काशी की दशा सुधरेगी, जरूर सुधरेगी। प्राचीन और जीवंत नगरी का पुराना वैभव वापस लौटेगा। थोड़ा वक्त तो लगेगा लेकिन इस शहर के आभामंडल में 'आनंदकानन' का भी दर्शन होगा। यहां की स्थिति में सुधार के लिए 'नागरिक मंच' अहम भूमिका होगी। यह मंच इस शहर की ऐतिहासिकता, धार्मिकता, आर्थिक, सामाजिक और पौराणिकता को नवीन आधार देगा। कुछ ऐसे ही इरादे लिए पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान (बीएचयू) और क्योटो यूनिवर्सिटीज ग्रेजुएट स्कूल ऑफ ग्लोबल इनवायर्नमेंटल स्टडीज के बीच शुक्रवार को शैक्षणिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
अध्ययन रिपोर्ट जारी की : बीएचयू के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित समारोह में विवि के कुलसचिव डा. केपी उपाध्याय व क्योटो विवि के प्रो. सिजियो फुजी ने हस्ताक्षर किए। इस दौरान शहर के दशाश्वमेध, आदमपुर, कोतवाली, भेलूपुर व ट्रंास वरुणा की अंतरिम अध्ययन रिपोर्ट भी जारी की गई। यह रिपोर्ट तैयार की है रानित चटर्जी व प्रमित वर्मा ने।
गवर्नेस पर नजर : इस दौरान क्योटो विवि के प्रो. राजीब शॉ व बीएचयू के प्रो. एएस रघुवंशी ने समझौते के मूल बिंदुओं से भी मीडियाकर्मियों को अवगत कराया। कहा कि शोध के केंद्र में होगा गवर्नेस, शिक्षा और तकनीकी। ठोस कचरा प्रबंधन, सीवेज व्यवस्था, आपदाएं जैसे बाढ़ व जरूरत से अधिक बरसात आदि भी ध्यान में रहेंगे। सुगम यातायात पर भी नजर रहेगी। उन्होंने बताया कि क्योटो विवि ने अध्ययन के लिए छात्रा नेहा साहू को नामित किया है। शोध की गतिविधि पहली अप्रैल से शुरू हो जाएगी।
शैक्षणिक आदान-प्रदान : उन्होंने बताया कि समझौते के तहत क्योटो व बीएचयू से शिक्षक, विशेषज्ञ व विद्यार्थी शोध के लिए एक से दूसरी जगह आ-जा सकेंगे। इस निमित्त संयुक्त रूप से दोनों ही शिक्षण संस्थाएं डुएल डिग्री पाठ्यक्रम भी संचालित करेंगी। इस मौके पर रेक्टर प्रो. कमलशील, महापौर रामगोपाल मोहले व जापानी दल के अन्य सदस्य मौजूद थे।