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जली होलिका, होली आज

जागरण संवाददाता, वाराणसी : उत्सवों का रसिया शहर बनारस गुरुवार की शाम से ही मस्ती के रंगों में डूब

By Edited By: Published: Thu, 05 Mar 2015 11:30 PM (IST)Updated: Thu, 05 Mar 2015 11:30 PM (IST)
जली होलिका, होली आज

जागरण संवाददाता, वाराणसी : उत्सवों का रसिया शहर बनारस गुरुवार की शाम से ही मस्ती के रंगों में डूब गया। दुनियावी दुश्वारियों को दरकिनार कर होरी और फाग गाया जाने लगा। इस उल्लास के आलम में पिंगल राग भी खूब छाया। हर गिले शिकवे व मनमुटाव को होलिका की आग में जलाया।

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सुबह के साथ ही नगाड़ों के डंकों की गूंज के साथ सड़कों-गलियों में माहौल होलियाना हो गया। मस्ती में झूमते, फाग गाते, अबीर गुलाल उड़ाते उमंग से सराबोर बच्चों और उत्साही युवाओं ने इसमें जमकर रंग भरे। होलिका के चंदा के लिए घर दुकानों पर डेरा ,तो राह चलते जिसे मन चाहा घेरा। दोपहर बाद से ही फगुनहटी बयार के साथ त्योहार का मिजाज शबाब पर आने लगा। फिजा रंगीन हुई तो दुआ सलाम का अंदाज भी चटख हो गया। दोस्तों-मित्रों, पड़ोसियों तो अनजाने भी मिले तो गरमजोशी से गले लगाया। रंग पर्व की अग्रिम बधाई भी खुले दिल से थमाया। ठंडई और भंग की तरंग में गोते लगाए तो शाम के साथ ही होलिका के इर्द गिर्द जत्थे उमड़ आए और शुरू हो गया दहन का तामझाम। वसंत पंचमी के दिन गली सड़कों के नुक्कड़ों पर गाड़ी गई रेड़ की टहनियों से रूपित होलिका को विस्तार दिया। इस पर उपले-झाड़ियां व लकड़ियों के बोटे रखे और घी के कई कनस्टर होम किया। कई स्थानों पर लकड़ियों के अंबार में होलिका और प्रह्लंाद की प्रतिमाएं सजाई। अबीर गुलाल की रंगोली और सुनहरी सजावटी पन्नियों से रंगत बढ़ाई। गंगा जल से चौहद्दी पवित्र की व पुरोहितों ने मंगल मुहूर्त में अनुष्ठान कराए। प्रह्लंाद को सुरक्षित हटाया और रात 10.37 से पहले पहले विधि विधान और अनुष्ठान पूर्वक होलिका में आग लगाया। धधकती आग में दुश्वारियों को झोंककर नए साल को तन मन से जीने के लिए तैयार हो गए। मस्तानों की टोली ने ढोल मजीरे व नगाड़े पर थाप दी और इस ओर से उस छोर तक होरी फाग गूंजे और भरभरा उठीं भेद की दीवारें। जन जन के मन बांध तोड़ होली का उल्लास व आह्लंाद वातावरण में छाया। पिंगलबाजों ने ठेठ काशिका अंदाज में छेड़ा राग और इसके साथ रंग पर्व के महा उत्सव का आगाज हो आया। होलिका मइया की जय से पूरा इलाका गूंजाया। सुख-समृद्धि की कामना से होलिका का फेरा लगाया। रंजो गम जलकर खाक हुए, इसके साथ ही हर ओर चहक उठा रंगोत्सव का उमंग-उल्लास जिसका वास शुक्रवार की सुबह हर सांस में होगा।


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