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स्वाइन फ्लू मरीजों के इलाज का हाल जानेंगे पर्यवेक्षक

वाराणसी : स्वाइन फ्लू पीड़ितों को टरकाए जाने के मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने पर्यवेक्षक तैन

By Edited By: Published: Fri, 27 Feb 2015 01:02 AM (IST)Updated: Fri, 27 Feb 2015 01:02 AM (IST)
स्वाइन फ्लू मरीजों के इलाज का हाल जानेंगे पर्यवेक्षक

वाराणसी : स्वाइन फ्लू पीड़ितों को टरकाए जाने के मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने पर्यवेक्षक तैनात कर दिये हैं। सात दिनों के लिए अलग अलग सात डाक्टरों को जिम्मेदारी दी गई है। रोजाना दोपहर पर्यवेक्षक मंडलीय अस्पताल में मरीजों तक जाएंगे। उनके इलाज, उन्हें मिल रही दवा व सुविधाओं के संबंध में जानकारी लेंगे। संक्रामक रोग प्रकोष्ठ के साथ ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी व जिलाधिकारी को भी इस संबंध में जानकारी देंगे।

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मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एमपी चौरसिया ने गुरुवार को पर्यवेक्षकों की सूची जारी की। साथ ही इन्हें तत्काल कार्य शुरू करने का भी निर्देश दे दिया। इसके पीछे उद्देश्य यह कि स्वाइन फ्लू पीड़ितों को कोई डाक्टर या कर्मचारी टरका न सके। अस्पताल में सभी संसाधन उपलब्ध हैं, इनके जरिए मरीजों का इलाज किया जाएगा ताकि इसका प्रसार न हो सके। टीम सदस्य एक-दो दिन के अंतराल पर पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय अस्पताल का भी चक्कर लगाएंगे। वास्तव में मंगलवार को ओपीडी में पहुंची शिवपुर की सुनयना को डाक्टरों-कर्मचारियों ने भर्ती कर इलाज की बजाय टरका दिया था। बीएचयू से लगायत निजी केंद्रों तक भागदौड़ के बाद भी बात नहीं बनी तो सुनयना ने डीएम से शिकायत की थी। उनके हस्तक्षेप पर रात में उसे अस्पताल में भर्ती किया गया था। इस प्रकरण की जांच के लिए कमेटी पहले ही गठित की जा चुकी है।

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बीएचयू में वेंटीलेटर व्यवस्था

स्वाइन फ्लू से गंभीर रूप से पीड़ितों के इलाज के लिए बीएचयू स्थित सरसुंदरलाल अस्पताल में वेंटीलेटर की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एमपी चौरसिया ने गुरुवार को बीएचयू आइएमएस निदेशक प्रो. राणागोपाल सिंह को पत्र लिखा है। इस संबंध में प्रदेश के निदेशक संचारी रोग ने सभी जिलों को आगाह किया था। इसके साथ भारत सरकार द्वारा स्वाइन फ्लू पीड़ितों के वेंटीलेशन का प्रोटोकाल भी भेजा गया है। इसकी प्रति भी बीएचयू प्रशासन को दी गई है।

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हों न परेशान, रहें सावधान

सामान्य इंफ्लुएंजा यानी सर्दी जुकाम की तरह के ही लक्षण स्वाइन फ्लू में भी होने पर लोगों की बढ़ी धड़कनों से स्वास्थ्य विभाग ने जागरुकता का दायरा बढ़ा दिया है। इसके लिए विभिन्न स्थानों पर होर्डिग लगाने और रेडियो से प्रसारण के साथ ही हैंडबिल भी बांटी जा रही है। इसमें बताया गया है कि सर्दी जुकाम की तरह ही स्वाइन फ्लू भी आसानी से ठीक हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि परेशान न हों लेकिन सावधान जरूर रहें। संक्रामक रोग प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी डा. जंगबहादुर के अनुसार इस रोग का असर खासकर कम प्रतिरोधी क्षमता वालों पर अधिक होता है, ऐसे में उन्हें विशेष एहतियात बरतने की आवश्यकता है। भारत सरकार ने इन लक्षणों में उपचार के लिए श्रेणीवार इलाज का दिशा निर्देश जारी किया है।

कृपया ध्यान दें

श्रेणी ए - हल्का बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर व सिर दर्द, उल्टी व दस्त हो तो स्वाइन फ्लू की दवा (टेमीफ्लू) या जांच की जरूरत नहीं।

श्रेणी बी 1 - उक्त लक्षणों के साथ ही बुखार व गले में खराश तेज हो तो अलग साफ सुथरे कक्ष में रहें। डाक्टर की सलाह से टेमीफ्लू लेकिन जांच जरूरी नहीं।

श्रेणी बी 2 - उक्त लक्षण यदि पांच वर्ष से कम और 65 वर्ष अधिक उम्र के लोग, फेफड़ा, हृदय, गुर्दा, कैंसर, एचआइवी पीड़ितों में हो तो स्वाइन फ्लू की जांच। घर में अलग कक्ष में रखें व डाक्टर की सलाह से टेमीफ्लू।

श्रेणी सी - उक्त सभी लक्षणों के साथ ही सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द, उनींदापन, निम्न रक्तचाप, थूक के साथ रक्त, नाखूनों में नीलापन, चिड़चिड़ापन हो तभी स्वाइन फ्लू की जांच जरूरी। अस्पताल में भर्ती कर उपचार।


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