हत्थे नहीं चढ़े कचहरी बम विस्फोट के आतंकी
जागरण संवाददाता, वाराणसी : कचहरी बम विस्फोट के आरोपी सात वर्ष बाद भी पुलिस या अन्य किसी जांच एजें
जागरण संवाददाता, वाराणसी : कचहरी बम विस्फोट के आरोपी सात वर्ष बाद भी पुलिस या अन्य किसी जांच एजेंसी के हत्थे नहीं चढ़े हैं। विवेचना में कोई प्रगति नहीं है। इस घटना में मारे गए नौ लोगों के परिजन अब भी इसी आस में हैं कि कब उनके बारे में शासन सोचेगा।
विस्फोट के बाद पुलिस प्रशासन ने जो तेजी दिखाई वह देखते ही देखते पटरी से उतर गई। हालत यह है दूसरी बरसी बीतने को है लेकिन जांच की दिशा तक एजेंसियां तय नहीं कर सकी। सभी की जुबान पर एक ही बात है कि आखिर कब तक प्रशासन रक्षात्मक रहेगा। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने घटनास्थल का दौरा कर अधिकारियों को निर्देश दिया था कि जांच में कोई कमी न रह जाए। तत्कालीन डीजीपी ने हुंकार भरी थी कि आतंकवादियों की चुनौती का माकूल जवाब देंगे। इसके बावजूद आतंकवाद कदम दर कदम ठोकर मारते आगे बढ़ता गया जबकि प्रशासन रक्षात्मक रवैया अपनाने में लगा रहा। सनद रहे कि घटना के बाद पुलिस कुछ दिन तक सतर्कता बरतने के बाद शांत पड़ जाती है। कभी इस गहराई तक काम नहीं किया जाता कि इसकी वंशबेल किन स्थानों पर है। आतंकियों के स्थानीय माड्यूलों पर गहन छानबीन समय के साथ धीमी पड़ जाती है। खुफिया तंत्र के फेल होने का जुमला काफी लोकप्रिय है। इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि उनके पास संसाधनों की कमी का लेकिन मसला इसके उलट है। पुलिस की इस विंग में तैनाती को सजा के रूप में माना जाता है। इस तंत्र को और अपडेट करने की जरूरत है जिससे उनका मनोबल ऊंचा रहे। ज्ञात हो कि 23 नवंबर 2007 को हुई इस घटना में जहां तीन अधिवक्ताओं समेत नौ लोगों की मौत हुई थी वहीं 53 लोग जख्मी हुए थे।