मेधावियों को नई अनुभूति से मिली ताजगी
जागरण संवाददाता, वाराणसी : महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में शनिवार को उमंगों का आकाश हिलोरे लेता रहा
जागरण संवाददाता, वाराणसी : महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में शनिवार को उमंगों का आकाश हिलोरे लेता रहा। हाथों में उपाधियां तो बदन पर पीले रंग के चोंगा, सिर पर गांधी टोपियों से मेधावियों को नई अनुभूतियों से ऐसी ताजगी मिली कि रह-रहकर उनके होठों पर मुस्कान आ ही जाती थीं। उपाधियों पर लिखे शब्दों को पढ़ते, मोबाइल व कैमरे से फोटो भी खिंचाते। कुछ ऐसा ही नजारा था विश्वविद्यालय के 36वें दीक्षांत में। विभिन्न संकायों के विद्यार्थियों का हुजूम कभी अपनी उपाधि देखते तो कभी अपने साथी को। कुछ इतिहास और कुछ वक्त की आभा बरबस ही चेहरे पर आ ही जाती।
महात्मा गांधी की प्रेरणा, राष्ट्ररत्न शिव प्रसाद गुप्त व भगवान दास के संकल्पों से ओतप्रोत काशी विद्यापीठ में आज विद्यार्थियों का सबसे बड़ा उत्सव था। कुलाधिपति ने जब मेधावियों के गले में गोल्ड मेडल पहनाया और हाथों में उपाधि दी तो उनके चेहरे खिल उठते। मंच से मेडल व उपाधि लेते वक्त मेधावियों के चेहरे पर शिष्टाचार की खामोशी छायी रहती थी। इस दौरान मेधावी कुलाधिपति, कुलपति और मुख्य अतिथि से पैर छूकर आशीर्वाद भी लेते रहे। वहीं समारोह के समाप्त होते ही मेधावी उछल पड़े।
मानविकी संकाय के पास दीक्षांत मंडप में कुलसचिव ओमप्रकाश के नेतृत्व में शिष्टयात्रा ने दोपहर करीब 12.20 मिनट पर प्रवेश किया। इसमें विश्वविद्यालय सभा, विद्यापरिषद, कार्यपरिषद के सदस्य के अलावा विभागाध्यक्ष, संकायाध्यक्ष, कुलपति, मुख्य अतिथि व कुलाधिपति चल रहे थे। शंखनाद से शिष्ट यात्रा का स्वागत हुआ। वहीं विद्यार्थियों ने शिष्ट यात्रा का स्वागत खड़ा हो कर किया। वापसी में शिष्ट यात्रा का नेतृत्व कुलाधिपति ने किया। अतिथियों के मंचासीन होने के बाद कुलसचिव ने कुलाधिपति से समारोह के शुभारंभ करने की अनुमति मांगी। अनुमति मिलने के बाद क्रम से संकायाध्यक्षों ने वर्ष-2014 के पीएचडी, स्नातक, स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों को संकायवार उपाधि देने की घोषणा की।
95486 विद्यार्थी हुए दीक्षित
दीक्षांत समारोह में कुलपति डा. पृथ्वीश नाग ने विद्यार्थियों को समावर्तन संस्कार की शपथ दिलाई और यूजी, पीजी व शोध के 95486 विद्यार्थियों को दीक्षित किया। इस दौरान कुलपति ने विद्यार्थियों से पितरों, ऋषियों, देवों के प्रति कर्तव्य पूछा। साथ ही उन्होंने छात्रों से सच बोलने, धर्म का आचारण करने, सावधानी पूर्व स्वाध्याय करते रहने, यथाशक्ति धन से विद्यापीठ की सेवा करने, लोक सेवा के लिए प्रजासंतति के पालन-पोषण में सावधान रहने, सत्य, धर्म और कुशलता के मार्ग को न छोड़ने का भी उपदेश दिया। समारोह का समापन राष्ट्रगान से हुआ।