शिक्षा का विस्तार ठीक, बाजारीकरण दुर्भाग्यपूर्ण
जागरण संवाददाता, वाराणसी : सूबे के राज्यपाल व कुलाधिपति राम नाईक ने कहा कि शिक्षा के विस्तार के साथ
जागरण संवाददाता, वाराणसी : सूबे के राज्यपाल व कुलाधिपति राम नाईक ने कहा कि शिक्षा के विस्तार के साथ बाजारीकरण भी तेजी से हो रहा है। इसका परिणाम है कि सामान्य घर के बच्चों के लिए शिक्षा ग्रहण करना मुश्किल होता जा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। इस पर विचार करने की जरूरत है।
वह शनिवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 36वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश में शिक्षा का स्तर गिरा है। एक समय था कि नालंदा व तक्षशिला में देश से ही नहीं दुनिया भर से लोग पढ़ने आते थे। उस समय संसाधन भी सीमित था। वर्तमान में संसाधनों का विस्तार हुआ है। दु:ख की बात है कि इसके बावजूद शिक्षा की गुणवत्ता गिरी है। इस पर चिंतन करने की जरूरत है।
कहा कि वर्तमान में पूरे देश में करीब 700 विश्वविद्यालयों व 35000 महाविद्यालयों में करीब दो करोड़ विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। अफसोस है कि हमारे शिक्षण संस्थान दुनिया के 200 शिक्षण संस्थाओं में भी स्थान नहीं बना पा रहे हैं। यह जानकर सिर शर्म से झुक जाता है। कहा कि हमारे देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। कुछ पैसे वाले इलाज कराने अमेरिका सहित दूसरे देशों में जाते हैं। दूसरे देश में जाकर भी वह पाते हैं कि उनका आपरेशन करने वाला डॉक्टर भारतीय मूल का ही है। ऐसे में हमें मंथन करना चाहिए कि सुधार कैसे करना चाहिए।
कुलाधिपति ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा जनतांत्रिक देश है। 21वीं शताब्दी में भारत युवाओं का देश बन गया है। जनतांत्रिक पद्धति का अंग छात्रसंघ भी है। छात्रसंघ पदाधिकारी चुन कर अच्छा कार्य करें। यही अपेक्षा है। विद्यापीठ की तारीफ करते हुए कहा कि यहां छात्रसंघ चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया। वहीं बीएचयू में इसे लेकर बवाल मचा हुआ है। उन्होंने छात्रों को अच्छा काम करने की सलाह दी।
उन्होंने कहा कि अपनी ताकत के बदौलत छात्राओं ने 50 फीसद से अधिक गोल्ड मेडलों पर कब्जा किया है। कहा कि उपाधि प्राप्त कर लेने के बाद शिक्षा समाप्त नहीं होती है। नई दुनिया में जाना है। जहां कड़ी स्पर्धा के लिए तैयार रहना होगा। जीवन में सफलता के लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता है।
समारोह के मुख्य अतिथि इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज के निदेशक पद्मभूषण प्रोफेसर वीएस रामामूर्ति ने कहा कि सीखने को संपूर्ण जीवन की प्रवृत्ति बनाइये। स्वयं से बराबर पूछते रहिये कि आप अपनी क्षमता से किन समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। यदि आप वेतन आधारित कार्य का चुनाव करते हैं तो भी ऐसे तकनीकी कुली न बनिए जो निर्देशों पर कार्य करते हैं। 'अन्वेषक-सर्जक' बनिए।
इस दौरान कुलाधिपति ने 43 मेधावियों को गोल्ड मेडल प्रदान किए। इसके अलावा 101 को पीएचडी व 95486 को यूजी व पीजी की उपाधि प्रदान की गई। 'स्मारिका' का भी विमोचन हुआ। इससे पहले राज्यपाल ने केंद्रीय पुस्तकालय के सामने बने ज्ञान-विज्ञान पार्क व जेके महिला छात्रावास के विस्तारीकरण का लोकार्पण भी किया। समारोह में शहर दक्षिणी के विधायक श्यामदेव राय चौधरी, शहर उत्तरी के विधायक रवींद्र जायसवाल सहित अन्य लोग उपस्थित थे। स्वागत कुलपति पृथ्वीश नाग ने किया। संचालन डा. बंशीधर पांडेय व धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव ओमप्रकाश ने किया।
राज्यपाल ने दिए चार मंत्र
01. बने हंसमुख स्वभाव के तो सबके होंगे प्रिय।
02. छोटे-बड़े का भेद न करें, अच्छा करें, उसके गुणों को करें आत्मसात।
03. जीवन में अहम न करें, किसी की आलोचना न करें।
04. दुनिया में कड़ी स्पर्धा है। ऐसे में जो भी काम करते हैं बेहतर करने की कोशिश करें।