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स्मुन्ना मालिश से नहीं बनेगा 'दारा सिंह'

वाराणसी : 'मुन्ना तेल लगाएगा दारा सिंह बन जाएगा'। आमतौर पर मां बच्चों की मालिश करते वक्त इसी सोच से

By Edited By: Published: Sat, 01 Nov 2014 02:30 AM (IST)Updated: Sat, 01 Nov 2014 02:30 AM (IST)
स्मुन्ना मालिश से नहीं बनेगा 'दारा सिंह'

वाराणसी : 'मुन्ना तेल लगाएगा दारा सिंह बन जाएगा'। आमतौर पर मां बच्चों की मालिश करते वक्त इसी सोच से दिन में कई बार बच्चों को जमकर तेल लगाती हैं। कुछ जगहों पर सरसों के तेल में जड़ी बूटी डालकर या फिर सरसों का उबटन भी बच्चों को लगाया जाता है। जानकर ताज्जुब होगा कि बच्चों को सरसों के तेल की मालिश करना उनके सेहत से खिलवाड़ करने जैसा है।

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जिला महिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डा.कमल कुमार बताते हैं कि जन्म से एक माह तक तो बच्चों की मालिश करनी ही नहीं चाहिए क्योंकि मालिश करते समय हड्डियों पर दबाव पड़ सकता है। हड्डी टेढ़ी भी हो सकती है। वहीं सरसों का तेल तो बहुत ही हानिकारक है। माताओं में भ्रम है कि मालिश से बच्चा मजबूत होता है जबकि मालिश से बच्चे को केवल आराम मिलता है। शरीर पर उसका विशेष प्रभाव नहीं पड़ता।

कान में न डालें तेल

अमूमन माताएं बच्चों के कान और नाक में तेल डाल देती है। सावधान हो जाएं ये गलती न करें क्योंकि सरसों का तेल या

क ोई भी तेल कान में डालने से इंफे क्शन हो जाता है। कान बहने लगता है। समय पर इलाज न कराने पर बच्चे को कम सुनाई देने लगता है। यहां तक कान के पर्दे में छेद भी हो जाता है। वहीं नाक में तेल डालने से कई बार तेल बच्चे के फेफड़े में चला जाता है जिससे निमोनिया हो सकता है।

सरसों के तेल से हो सकता है जामड़

सरसों के तेल को बालों में लगाने पर बच्चे के सिर में जामड़ हो सकता है क्योंकि तेल से गंदगी की परत धीरे- धीरे सिर में जमा होने लगती है। बेहतर होगा कि हाथों से से मलकर उसे हटाएं। इसके लिए डाक्टर दवा भी देते हैं।

हो सकती है त्वचा में एलर्जी

सरसों के तेल में बहुत झार होता है। आजकल इसमें मिलावट भी ज्यादा है। वहीं बच्चों की त्वचा बहुत कोमल होती है। सरसों के तेल से मालिश करने पर त्वचा रगड़ जाती है। कई बार खुजली फिर त्वचा में एलर्जी भी हो जाती है। रगड़ के कारण 'अप्रस' नामक रोग भी हो सकता है।

जैतून का तेल सर्वोत्तम

जैतून क ा तेल मालिश के लिए सबसे अच्छा होता है। इसे बच्चों के सिर पर भी लगाया जा सकता है। नारियल का तेल भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ग्लिसरीन युक्त साबुन से बच्चों को नहलाएं। बच्चों की नाभि में भी तेल या जड़ी बूटी का लेप न लगाएं क्योंकि इससे भी संक्रमण हो सकता है।


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