मइया को जगाया, आज आमंत्रण और अधिवास
वाराणसी : शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन सोमवार को षष्ठी तिथि और सूर्यास्त के योग में बंगीय पूजा मंडप
वाराणसी : शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन सोमवार को षष्ठी तिथि और सूर्यास्त के योग में बंगीय पूजा मंडपों में बोधन की रस्म पूरी की गई। शक्ति की आराधना के निमित्त श्रद्धालुओं ने विधि विधान से मइया को जगाया। अब मंगलवार को आमंत्रण और अधिवास के विधान पूरे किए जाएंगे। साथ ही षष्ठी विहित पूजन अनुष्ठान भी होंगे। प्रतिमाओं का रूख पंडालों की ओर और भक्तों की आस्था का ओर छोर न होगा। षष्ठी को पंडालों में देवी प्रतिमाएं सपरिवार विराजेंगी और ढाक के डंकों से गूंजेंगे गली चौराहे। इसके साथ बिखर जाएंगे पूजनोत्सव के इंद्रधनुषी रंग।
वास्तव में षष्ठी तिथि सोमवार को दोपहर बाद 12.56 बजे लग गई जो मंगलवार को 11.50 तक रहेगी। धर्मशास्त्रीय विधान के अनुसार बोधन सूर्यास्त में ही किया जाता है। ऐसे में यह रस्म सोमवार को ही पूरा किया गया। हालांकि षष्ठी पूजन, कल्पारंभ आदि 30 को होंगे। एक अक्टूबर को सप्तमी तिथि में नवपत्रिका प्रवेश और सप्तमी विहित पूजन किया जाएगा।
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बोधन : शारदीय नवरात्र में मां का बोधन करने की परम्परा है। शक्ति आराधन के लिए प्रभु राम ने यह अनुष्ठान किया था। मान्यता अनुसार कोई निद्रा में हो तो उन्हें तत्काल उठाने का नियम नहीं है। शयनरत मां दुर्गा को जगाने के लिए भी प्रभु ने जो ध्यान लगाया उसे बोधन के तौर पर जाना गया। इसका उल्लेख देवी भागवत और कालिका पुराण में मिलता है।
आमंत्रण : इसके बाद भगवती को प्रभु ने पृथ्वी पर आमंत्रित किया। मां उनके उद्देश्य मूलक आयोजन के लिए तैयार हुई।
अधिवास : भगवती को रहने के लिए समुचित जगह देने यानी निवास के लिए स्थान देने का क्रम अधिवास कहलाया।