कपड़ों से पटा लोलार्क कुंड
वाराणसी : भदैनी स्थित लोलार्क कुंड पर एक दिन पहले तक डुबकी के लिए हुजूम उमड़ा था वहीं दूसरे दिन सोमवार को पुराने कपड़ों व इक्का दुक्का लोगों के अलावा कुछ नहीं था। कुंड पर शांति थी और यह पुरानी साड़ियों व अन्य कपड़ों से पटा पड़ा था। मान्यता है कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यहां स्नान से मनोकामना पूरी होती है। इसकी कामना की पूर्ति के लिए यहां रविवार को आस-पास के जिलों के साथ बिहार, बंगाल, मध्यप्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों से 'नहनिया' आए थे। मान्यता है कि डुबकी के बाद शरीर पर पुराना वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए लिहाजा जिस वस्त्र को पहनकर डुबकी लगाई उसे कुंड में छोड़ दिया।
लगभग दो लाख भक्तों ने पुत्रकामना लिए डुबकी लगाई थी। मान्यता है कि मनोकामना पूरी होने पर पुत्र के साथ लोलार्क कुंड में स्नान करना चाहिए और पुत्र का मुंडन भी यहीं होना चाहिए। इस बार सबसे अधिक लोग यहां डुबकी के लिए पहुंचे थे। हजारों लोग तो कुंड तक पहुंच नहीं सके थे। भीड़ को देखते हुए पहली बार लोलार्क छठ पर लाइन लगवाकर डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं को भेजा जा रहा था। लाइन शिवाला से आगे और अस्सी चौराहा होते हुए घाट तक लगी थी। भदैनी त्रिमुहानी पर पैर रखने की जगह नहीं थी। नहनियों की सुविधा के लिए भदैनी त्रिमुहानी, तुलसी घाट, छोटा नागपुर, अस्सी पर बैरिकेडिंग कर दी गई थी।