अटल सुहाग की आस, रखा कठिन उपवास
वाराणसी : अटल सौभाग्य की कामना से सुहागिनों ने हरितालिका तीज पर गुरुवार को निराजल व्रत रखा। मंदिरों में दर्शन पूजन किया और परंपरा के अनुसार पति के कल्याणार्थ गौरी-शंकर की पूजा अर्चना की। लोकाचार के साथ विधि-विधान पूरे किए और मनोयोग से कथा भी सुनी।
शिव-शक्ति के मंदिरों खास तौर पर मंगला गौरी व गौरी गभस्तीस्वर महादेव मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए कतार लगी रही। मौसम की तल्खी और भूख-प्यास की शिकन से दूर भरपूर उत्साह से सजी-संवरी महिलाओं की उमंग देखने लायक थी। मनोवांछित वर की कामना से कुमारियों ने भी व्रत रखा और मंदिरों में अर्जी लगाई। इससे पहले बुधवार की रात के तीसरे पहर से भोर तक महिलाओं ने सुतफेनी-मिष्ठान्नऔर पान से सरगही (स्वर्गिक बेला का आहार) के साथ व्रत शुरू किया। सुबह जागने के साथ ही पूजा -पाठ की तैयारियों में लग गई। आस्था विश्वास की चाशनी में डूबे देवी गीत गुनगुनाते और मुराद पूरी करने की गुहार लगाते आधा दिन बीता। दोपहर बाद स्नान-ध्यान और सजधज का दौर शुरू हुआ। नए परिधान, हथेली पर मेहंदी रचाई और रंगबिरंगी चूड़ियों से कलाइयां सजाई। सुहाग की प्रतीक बिंदिया और मांग में चटख सिंदूर समेत सोलहों श्रृंगार किए। घर के आंगन में कच्ची माटी से शिव-पार्वती की प्रतिमा सजाई और विधान के अनुसार पूजा की। फल-मिष्ठान्न के साथ ही श्रृंगार की सामग्रियों से सजी थाल और डाल का उपहार भी मइया के चरणों में अर्पित किया। घर की बड़े-बुजुर्गो व पुरोहितों से हरितालिका व्रत पर्व के महात्म्य की कथाएं सुनीं। चरण छूकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद भी लिया। विभिन्न शिवालयों व देवी मंदिरों में सवेरे से ही व्रती महिलाओं की भीड़ उमड़ने लगी थी। इनमें कथा श्रवण के विशेष इंतजाम भी थे। ईश्वरगंगी पोखरा, महावीर मंदिर अर्दली बाजार, भोजूबीर स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर, जागेश्वर महादेव, सूर्य सरोवर (डीरेका), कर्दमेश्वर महादेव मंदिर (कंदवा) और गंगा घाटों समेत देवालयों में महलाओं ने तीज की रस्म निभाई।