किसी प्रासाद से कमतर नहीं वैभव 'राजमहल' का
वाराणसी : सच में, किसी राज प्रासाद से कमतर नहीं है यात्री पोत (क्रूज) राजमहल का वैभव, जो गंगा के जलमार्ग से 14 विदेशी सैलानियों की टोली लेकर बुधवार की दोपहर पटना से बनारस पहुंचा। वाकई, यह क्रूज फाइव स्टार होटल से कम नहीं था।
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कुछ अलग, कुछ खास
-20 लग्जरी रूम
-शानदार डाइनिंग हॉल
-दो माले के क्रूज राजमहल की छत पर ओपेन वॉकिंग हॉल
-सुविधा संपन्न मनोरंजन कक्ष
-बेहतरीन स्वागत कक्ष आदि
चालक दल व प्रबंधन : एक कैप्टन, दो पायलट, दो सहायक पायलट, दो तकनीशियन, दो शेफ, आधा दर्जन बैरे, चार सफाईकर्मी, कार्यक्रम संयोजक एक निजी टूर एजेंसी।
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गति पन्द्रह किलोमीटर प्रतिघंटा
एक वाक्य में कहा जाए तो पोत में सारी शाही सुविधाएं मौजूद। गत 22 अगस्त को पटना से चला क्रूज 15 किमी की गति से दोपहर 12:15 बजे खिड़किया घाट पर पहुंचा। इसका वैभव सारा दिन आसपास के रहनवारों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा। लोग इसे देखने के लिए दिन भर मेला लगाए रहे।
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सारनाथ पहुंचे विदेशी सैलानी
सभी सैलानी क्रूज छोड़कर दोपहर बाद तीन बजे सारनाथ पहुंचे। दल ने कार्यक्रम संयोजक संतोष सिंह के नेतृत्व में पुरातात्विक खंडहर परिसर, बौद्ध मंदिरों, धमेख स्तूप और संग्रहालय को देखा और सारनाथ के इतिहास से परिचित हुए। विदेशी सैलानियों में शामिल ब्रिटेन व आयरलैंड के निवासी पॉप, क्लोप, राबर्ट्स, एंड्रीयू ने सारनाथ में अनौपचारिक बातचीत में मीडिया से कहा 'शानदार, बहुत शानदार यात्रा और दिल को छू लेने वाले अनुभव। जलमार्ग से वाराणसी आने का आनंद ही कुछ और है। इसे जारी रखना चाहिए।'
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भ्रमण की कार्ययोजना
-गुरुवार सुबह जौनपुर रवानगी व भ्रमण
-शाम को बनारस वापसी व रात्रि विश्राम
-शुक्रवार-चुनार व रामनगर किला भ्रमण
-दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती झांकी
-शनिवार की सुबह हवाई जहाज से पटना रवानगी।