स्मृतियों की मोहपाश में बंधी पुरा छात्राएं
वाराणसी : 'अरे देखो वह तो अल्पना है, वो तो कल्पलता है। देखो कैसी हो गई है। अरे यार जरा मनु को तो देखो जरा भी नहीं बदली। वह देखो हमलोगों की सुपर सीनियर डा. पुष्पलता मैम, चलो उनका आशीष लेते हैं।' कुछ ऐसे ही अल्फाज शुक्रवार को राजघाट स्थित वसंत महिला महाविद्यालय में सुनने को मिले। मौका था विद्यालय के शताब्दी वर्ष पर पुरातन छात्रा सम्मेलन का।
यह अनुपम सम्मेलन एक साथ चार पीढि़यों का मंच बन गया था। कारण कि वर्ष 1935 से 2010 तक के बैच की छात्राओं को आमंत्रित किया गया था। इस दौरान एक ओर सन 1935 बैच की डा. पुष्पलता प्रताप रहीं तो दूसरी ओर उनकी चौथी पीढ़ी के रूप में 2010 की निशा भी थीं। पुरातन और नवीन का अनुपम सम्मेलन देखकर हर कोई हर्षित हो रहा था। गुरुओं का ऋण इससे ही पता चलता है कि यहां की छात्रा रहीं मीरा ठाकुर अबू धाबी से अपना सारा काम छोड़कर राजघाट पहुंचीं थी। उनका यही मानना था कि जिस मंदिर ने उन्हें प्रारंभिक पहचान दी है वहां के निमंत्रण के आगे सारे काम गैर जरूरी हो जाते हैं।
शताब्दी समारोह में डा. पुष्पलता, विद्यापीठ की चीफ प्रॉक्टर प्रो. कल्पलता पांडेय, हरिश्चंद्र बालिका विद्यालय की डा. अल्पना राय चौधरी, डा. मनुलता शर्मा, डा. मंजू सुंदरम् सहित कई पुरा छात्राओं ने अपने स्मरण सुनाए और स्मृतियों को फिर से जीवंत किया। इतना ही नहीं जमकर हंसी ठिठोली की। इस मौके पर विविध रंगारंग कार्यक्रम भी आयोजित किए गए थे। पुरातन छात्राओं ने भजन-कीर्तन व गीत-संगीत से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। समारोह के दौरान स्मारिका का विमोचन भी किया। स्वागत व संचालन प्राचार्या डा. विजय शिवपुरी व धन्यवाद ज्ञापन डा. पुनीत पाठक ने किया। समारोह में डा. वंदना झा व आरती निर्मल भी सक्रिय रही। पुरा छात्रा सम्मेलन का समापन समारोह नौ अगस्त को होगा।