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बहुत हो चुका, अब होगी सरकार से बात

By Edited By: Published: Tue, 29 Jul 2014 01:02 AM (IST)Updated: Tue, 29 Jul 2014 01:02 AM (IST)
बहुत हो चुका, अब होगी सरकार से बात

वाराणसी : नगर में बेपटरी हो चुके कूड़ा प्रबंधन को लेकर मेयर रामगोपाल मोहले की चिंता बढ़ती जा रही है। उन्होंने अब तक स्थानीय स्तर पर जितने भी पेच ढीले थे उसे कसने का काम कर दिया है लेकिन बात बनती नहीं दिख रही। फजीहत की वजह एटूजेड, नगर निगम व सीएंडडीएस के बीच का विवाद है। इसे सुलझाने की सारी कोशिशें अब तक बेकार साबित हुई। इसे देखते हुए पूरे मसले को लेकर मेयर जल्द ही प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव या नगर विकास मंत्री आजम खां से मुलाकात करेंगे।

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मेयर ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विभिन्न माध्यमों से नगर में बेपटरी हुए कूड़ा प्रबंधन की जानकारी ले रहे हैं। पिछले दिनों मुलाकात के दौरान मोदी ने इस बाबत मेयर से चर्चा भी की थी और कूड़ा निस्तारण में आ रही बाधाओं को दूर करने का निर्देश दिया था। बताया कि प्रदेश सरकार से मुलाकात के दौरान वार्ता का प्रमुख बिंदु शहर में डोर-टू-डोर कूड़े का उठान होगा और यह तभी संभव है जब एटूजेड, नगर निगम, सीएंडडीएस के बीच का मसला हल हो। बताया कि कंपनी ने अनियमितता बरती है। शर्तो का खुला उल्लंघन किया गया। जब मेयर ने पहले खुद तो बाद में निगम प्रशासन ने कंपनी पर नकेल कसी तो वह भाग खड़ी हुई। प्रदेश की सपा सरकार ने भी अग्रिम आदेश तक कंपनी को कार्य करने से प्रतिबंधित कर दिया था।

पांच माह में बेहतरी की उम्मीद

मेयर ने सोमवार को नगर आयुक्त उमाकांत त्रिपाठी, अपर नगर आयुक्त बीके द्विवेदी व तहसीलदार अविनाश कुमार संग गोपनीय बैठक की। इसमें उन्होंने कूड़ा प्रबंधन के सभी पहलुओं की जानकारी लेने के साथ ही गतिरोध पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट मांगी है ताकि वार्ता के दौरान समस्या के बाबत शासन-प्रशासन को अवगत कराया जा सके। मेयर ने पांच माह के अंदर हालात सुधरने की उम्मीद जाहिर की है।

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नहीं मिली शिकायत निस्तारण की रिपोर्ट

वाराणसी : मेयर रामगोपाल मोहले सोमवार को नगर निगम सफाई चौकियों की नकेल कसी है। प्रभारियों को पत्र जारी करते हुए जानकारी मांगी है कि चौकी पर जो भी शिकायतें रजिस्टर में दर्ज हो रही हैं उनका निस्तारण हो रहा है या नहीं। उन्होंने हिदायत दी है कि जहां भी समस्या का निस्तारण करने का दावा किया जाएगा वहां वे खुद सत्यापन के लिए पहुंचेंगे। यदि रिपोर्ट झूठी निकली या फिर कार्य की महज कोरम अदायगी की गई तो संबंधित प्रभारी व कर्मचारी पर कार्रवाई भी संभव है। उन्होंने दो दिनों के अंदर सफाई चौकियों में दर्ज शिकायतें व हुए निस्तारण के बाबत प्रभारियों से रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने नाराजगी जाहिर की है कि यह रिपोर्ट पूर्व में ही मांगी गई थी लेकिन उपलब्ध नहीं कराई गई।


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