प्रतिबंध फिर भी धड़ल्ले से डीप बोरिंग
वाराणसी : जनपद में लगातार जल संकट बढ़ता जा रहा है। बावजूद इसके कार्रवाई व जागरुकता के अभाव में भूजल का अंधाधुंध दोहन हो रहा है। आराजी लाइन व हरहुआ ब्लाक डार्क जोन में पहुंच गए हैं। इसे देखते हुए इन इलाकों में डीप बोरिंग पर प्रतिबंध लगा है। वहीं सेवापुरी ब्लाक को छोड़ दें तो अन्य पांच ब्लाक सेमी क्रिटिकल जोन में पहुंच गए हैं। हालात विषम होने के बाद भी ठोस जल नीति के अभाव में प्रतिबंधित क्षेत्रों में भी डीप बोरिंग धड़ल्ले से की जा रही है।
खास यह कि संकट बड़ा है लेकिन जिम्मेदार महकमा यानी भूगर्भ जल विभाग व वाराणसी विकास प्राधिकरण, जिनको वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम मकानों में लगवाना है, वही शिथिल पड़े हैं। भूजल के लिए सिर्फ चिंता की जा रही है। जागरुकता के लिए न तो फंड है और न ही सिस्टम लगाने के लिए सब्सिडी ही दी जा रही है।
जागरुकता की कोरम अदायगी
16 जुलाई से भूगर्भ जल जागरुकता सप्ताह मनाया गया लेकिन फंड के अभाव में अभियान के दौरान सिर्फ कोरमपूर्ति ही की गई। जिला मुख्यालय, तहसील पर बोर्ड लगाने के अलावा कोई कवायद नहीं की गई। प्रति वर्ष गिर रहा भूजल स्तर
भूजल का हाल यह है कि हर साल जलस्तर गिर रहा है। इसके बावजूद भी प्रतिबंधित क्षेत्र में डीप बोरिंग करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। अधिकारी बताते हैं कि जल नीति के बाबत केंद्र सरकार की ओर से कदम बढ़ाए गए हैं। वेपसोस संस्था को जिम्मेदारी सौंपी गई है जो झांसी व जौनपुर में भूजल स्तरों की जांच कर रिपोर्ट तैयार करने में जुटी है।
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भूगर्भ जल के चार स्तर
-अतिदोहित : रीचार्ज के सापेक्ष एक सौ फीसद जल का दोहन।
-क्रिटिकल : रीचार्ज के सापेक्ष 90 से एक सौ फीसद दोहन।
-सेमीक्रिटिकल : रीचार्ज के सापेक्ष 70 से 90 फीसद दोहन।
-सुरक्षित : रीचार्ज के सापेक्ष 70 फीसद या उससे कम दोहन।
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रीचार्जिग के स्रोत
- रेन वाटर हार्वेस्टिंग
- रूफ टाप रेन वाटर
- तालाब, कुएं आदि
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ब्लाकवार भूजल के हालात
आराजी लाइन 13.23 मीटर
बड़ागांव 9.58 मीटर
चिरईगांव 10.60 मीटर
चोलापुर 7.78 मीटर
हरहुआ 11.10 मीटर
काशी विद्यापीठ 9.79 मीटर
पिंडरा 8.81 मीटर
सेवापुरी 12.16 मीटर