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धूप की तल्खी तो सावनी अहसास भी

By Edited By: Published: Sun, 27 Jul 2014 07:27 PM (IST)Updated: Sun, 27 Jul 2014 07:27 PM (IST)
धूप की तल्खी तो सावनी अहसास भी

वाराणसी : तीन चार दिन पहले बारिश क्या हुई वातावरण में फैले धूल के कण जमीन पर आ गए। इनके जमीन पर आने से सूरज की किरणों के धरती तक पहुंचने का अवरोध खत्म हो गया। दुष्परिणाम यह कि जब-जब आसमान साफ रहता धूप की किरणें जेठ की दोपहरी को मात कर जाती। ..और जब बादलों का झोंका सूरज को घेरता तब मौसम मिजाज सुहाना हो जाता। इन दोनों की इस कहानी में उमस का दायरा बढ़ता गया और यह बाहर से लेकर घर के भीतर कोने तक पहुंच गया। इसमें बिजली का नहीं होने ने कोढ़ में खाज का काम किया।

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बात रविवार की : रविवार को मौसमी मिजाज सुबह से लेकर दोपहर तक तल्ख रहा। आसमान साफ और किरणें सीधे धरती से टकराती रहीं। दोपहर बाद तो बादलों की आवक शुरू हुई और ये घने भी होने लगे। ठंड हवा का झोंका भी आने लगा। बादलों ने कुछ बूंदाबांदी भी की। मिजाज सुहाना बनाया और उड़ गए।

झमाझम के संकेत : मौसम विज्ञानी प्रो. एसएन पांडेय कहते हैं कि झमाझम के सभी संकेत हैं। बंगाल की खाड़ी में हवा के कम दबाव का क्षेत्र (लो-प्रेशर) बन रहा है, हवा का रुख पुरवा भी है। लोकल हीटिंग भी हो रही है। ये सभी संकेत दे रहे हैं कि अगले एक दो दिन में बादल झमाझम करेंगे।

तापमान व आ‌र्द्रता : 24 घंटे में अधिकतम तापमान शून्य दशमलव आठ डिग्री बढ़कर 34 से 34.8 व न्यूनतम तापमान शून्य दशमलव छह डिग्री गिरकर 27.7 से 27.1 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। अधिकतम आ‌र्द्रता का स्तर 86 से 94 व न्यूनतम स्तर 66 से 65 फीसद हो गया।


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