उन्नत तकनीक से आपदाओं पर विजय
वाराणसी : विश्व में लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन से दुनिया के जलवायु वैज्ञानिक चिंतित हैं। विश्व पृथ्वी दिवस की पूर्व संध्या पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान में सोमवार को 'सिमूलेशन माडलिंग एवं क्लाइमेंट चेन्ज इशूज एण्ड चैलेन्जेज' विषयक कार्यशाला आयोजित हुई। एक दिवसीय कार्यशाला में वैज्ञानिकों ने बताया कि सिमुलेशन मॉडलिंग के सहयोग से आने वाली सुनामी, फेलिन सहित अतिवृष्टि, अनावृष्टि जैसी अन्य प्राकृतिक आपदाओं एवं जलवायु परिवर्तन से होने वाले दुष्प्रभावों की सटीक जानकारी हासिल की जा सकती है। इस माडल पर देश के वैज्ञानिक कार्य कर रहे हैं। कार्यशाला में कृषि स्वास्थ्य एवं मौसम के पूर्वानुमान सम्बन्धी अनेक पहलुओं पर विशेषज्ञों ने अपनी राय दी।
इस अवसर पर आइआइटी दिल्ली के प्रो. एस. दास जल संसाधान प्रबन्धन ने कहा कि शहरीकरण में वृद्धि होने से भूमि व जल के संसाधनों में कमी आ रही है। इसलिए सरकार को वाटर रिचार्ज को प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे भविष्य में होने वाली भयावह स्थिति को रोकने में सफलता मिलेगी। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी रुढ़की के डा. आरडी सिंह ने जल बचाने के वैज्ञानिक व आसान तरीकों से लोगों को अवगत कराया। बताया कि जलवायु परिवर्तन को रोका तो नहीं जा सकता लेकिन उसके दुष्प्रभावों को कम जरूर किया जा सकता है। इसलिए हमें जलवायु परिवर्तन में अनुकूलन रखने की जरूरत है। कृषि विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. रवि प्रताप सिंह ने जलवायु परिवर्तन के चलते किसानों की फसलों की क्षति रोकने के उपायों को बताया। कहा कि देश में पूर्वानुमान सम्बन्धी मॉडलों को एडवांस करने की जरूरत है।
कार्यक्रम को डा. एससी भान, डा. केके सिंह, बीयूएम राव, प्रो. यूसी मोहंती डा. रंजीत सिंह, विनोद कुमार सिंह, डा. आरके मल्ल, प्रो. राजीव भाटला, प्रो. अभय कुमार सिंह, प्रो. जीसी मिश्रा आदि ने संबोधित किया। स्वागत पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान के निदेशक प्रो. एएस रघुवंशी व संचालन डा. आरके मल्ल ने किया।