धूल-नमी के मेल को सूरज का 'हालो'
वाराणसी : पूर्वाचल के आसमान पर रविवार को दिन में लगभग 11 बजे बादलों के बीच एक सुनहरा छल्ला जैसा बन गया। किरणें भी छन-छन कर आती रहीं। यह नजारा देखने के लिए हर सिर आसमान की ओर। हालांकि लगभग आधे घंटे में यह खत्म भी हो गया। इस घटनाक्रम के बारे में आइआइटी बीएचयू में सूर्य पर अध्ययन कर रहे प्रो. बीएन द्विवेदी व मौसम विज्ञानी प्रो. एसएन पांडेय कहते हैं कि वातावरण में जब धूल के अतिसूक्ष्म कणों की मात्रा अधिक हो जाती है, उसका संपर्क पर्याप्त नमी से हो जाता है और किरणें टकराने लगती हैं तो ऐसा घेरा बन जाता है। इसे 'हालो' कहते हैं। यह सतह से लगभग सात किमी ऊपर बना था।
अरसे बाद दिखा, यूं देखा : प्रो. द्विवेदी कहते हैं कि यह कोई अजूबा नहीं है। इससे पहले बनारस में हालो कब बना था, दिखा था यह तो याद नहीं है लेकिन यह नमी, धूल और किरणों के सामंजस्य का खेल है। उधर बनारस के लोगों ने शायद लंबे अरसे बाद आसमान का ऐसा नजारा देखा। हालो देखने के लिए किसी ने वाहन रोके तो कोई तिरछी आंखें कर इसे देखता रहा। कुछ ही सेकेंड में सिर झुका लेता कारण कि अधिक देर तक धूप की ओर आंख खुली रखना आसान नहीं था।
अब बात तापमान की : प्रो. पांडेय के मुताबिक आसमान पर भले ही हालो बना पर इससे तापमान के मिजाज पर कोई असर नहीं पड़ा। उधर अधिकतम तापमान तो 37.4 डिग्री पर स्थिर रहा पर न्यूनतम तापमान 1.4 डिग्री गिरकर 21.4 से 20 डिग्री सेल्सियस हो गया। अधिकतम आर्द्रता का स्तर 81 से 82 व न्यूनतम तापमान 34 से 37 फीसद हो गया।
हवा का रुख व गति : प्रो. पांडेय के अनुसार सतह पर लगभग 1500 मीटर तक हवा का रुख उत्तरी-पश्चिमी रहा। इससे ऊपर रुख पछुआ हो गया। सतह पर गति लगभग सात किमी प्रतिघंटा, 900 व 1500 मीटर पर गति लगभग 20 किमी प्रतिघंटा, साढ़े तीन किमी पर गति लगभग 40 किमी प्रतिघंटा तथा साढ़े पांच किमी पर गति लगभग 70 किमी प्रतिघंटा रही।