दाखिला किसी का, डिग्री किसी को
वाराणसी : संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के परीक्षा अभिलेखों में व्यापक पैमाने पर हेराफेरी की गई है। शास्त्री परीक्षा के रिकार्डो की छानबीन में दाखिला किसी छात्र का और डिग्री किसी दूसरे छात्र को दे दिए जाने के अब तक दर्जनों मामले उजागर हो चुके हैं। इसमें प्रथम व द्वितीय वर्ष में जिस छात्र का नाम है तृतीय वर्ष में उसके स्थान पर किसी और परीक्षार्थी का नाम रिकार्ड में पाया गया है। अभी यह प्रक्रिया जांच के दायरे में है लेकिन इनकी संख्या सैकड़ों में होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
सूत्रों की मानें तो प्रारंभिक छानबीन में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इसमें परीक्षा के टेबुलेशन रजिस्टर में हेराफेरी कर शास्त्री की परीक्षा दिए बिना ही अंकपत्र जारी कर दिए गए हैं। यही नहीं अभिलेखों में कई जगहों पर कटिंग व खरोचकर दूसरे परीक्षार्थी का चढ़ाने के साथ ही अंक भी भरे गए हैं। इतना ही नहीं शास्त्री परीक्षा के अंतिम खंड में दर्ज परीक्षार्थी का नाम प्रथम व द्वितीय वर्ष के रिकार्ड से गायब पाया गया है। अंतिम वर्ष के अभिलेख में दर्ज परीक्षार्थी के पूर्व के विवरण के आधार पर हुई जांच में कुछ ऐसे अनुक्रमांक भी मिले जिनके आगे अंक चढ़ाए ही नहीं गए थे। दूसरी ओर अभिलेखों में तमाम कटिंग होने के बावजूद किसी जिम्मेदार अधिकारी के हस्ताक्षर भी नहीं हैं।
18 वर्ष के परीक्षा
अभिलेख संदिग्ध
परीक्षा अभिलेखों में व्यापक पैमाने पर की गई हेराफेरी को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने पिछले 18 वर्षो (वर्ष 1992 से 2010 तक) का रिकार्ड संदिग्ध घोषित कर दिया है। विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने संगणक केंद्र से मिलान कर नए सिरे से परीक्षा अभिलेख बनाने का निर्देश दिया है ताकि टेबुलेशन रजिस्टर में व्याप्त विसंगति दूर किया जा सके।