अब हाइटेक आशा, वीडियो कांफ्रेसिंग से करेंगी इलाज
वाराणसी : गांव गिरांव से शहर की दहलीज में दस्तक देने जा रही आशा अब उच्च तकनीक से लैस होगी। उनके बैग में टैबलेट की तरह की मोबाइल कुंजी होगी जिसमें लोड होंगी स्वास्थ्य योजनाओं की जानकारी। इससे उनकी जिज्ञासाओं का समाधान होगा ही वह वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए मरीजों को इलाज भी दिलाएंगी। इसमें रोगी सीधे डाक्टरों के पैनल से रूबरू हो सकेगा। परामर्श दिए जाएंगे और आशा स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क कर दवा दिलाएगी, अस्पताल पहुंचाएगी।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए जिलों से भेजे गए प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटेशन प्लान (पीआइपी) में इसका प्रस्ताव है। हालांकि इस बार कार्य योजना तीन वर्ष की है, ऐसे में इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। टैबलेट अगले वित्तीय वर्ष की शुरूआत में उनके हाथ में होगा। टैबलेट की परिकल्पना भी इस तरह से की गई है कि उसमें जच्चा बच्चा की सुरक्षा से जुड़ी सभी योजनाओं को फीड किया जा सके। इसे आशा फिल्म की तरह देख और सुन सके। इसके जरिए मरीजों को समझा कर भ्रांतियों का निवारण भी कर सके। प्रदेश मुख्यालय पर डाक्टरों का पैनल भी बनाया जाएगा जिसमें स्त्री रोग व सामान्य बीमारियों के डाक्टर होंगे। हालांकि इस यंत्र से आशा पैनल के सिवा और कहीं बात नहीं कर सकेगी। इसके लिए उसे मोबाइल पहले ही स्वीकृत किया जा चुका है। यही नहीं टैबलेट हाथ में आने के बाद आशा इससे ही गर्भवती व नवजात का पंजीकरण कर सकेगी। इससे मदर चाइल्ड ट्रैकिंग की फीडिंग में आने वाली समस्याएं भी दूर होंगी। योजना प्रदेश स्तर पर लागू होनी है, इसके लिए जनवरी में ही जिला स्तरीय स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे। इन्हें पीआइपी में शामिल कर लिया गया है और मिशन निदेशालय भेजा जाएगा। हालांकि चुनावी आचार संहिता के कारण स्वास्थ्य जैसे गंभीर मुद्दे पर भी अधिकारी इन योजनाओं के बारे में कुछ बोलने से कतरा रहे हैं। पत्रावलियां भी डंप पड़ी हैं, ऐसे में इस बार पीआइपी स्वीकृत में होने भी विलंब की संभावना है लेकिन समझा जाता है कि एक वर्ष का समय होने से छोटा टैबलेट (मोबाइल कुंजी) अगले वित्तीय वर्ष में आशा के हाथ में होगी। इसके साथ आसान हो जाएगा जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य से जुड़ी तमाम समस्याओं का समाधान।