चुनाव आचार संहिता में फंसा आशा व एएनएम का मोबाइल
वाराणसी : आशा व एएनएम का मोबाइल सेट और सिम लोकसभा चुनाव की आचार संहिता में फंस गया है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए इसे बेसिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को दिया जाना है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की योजना के तहत बनारस में ही नोकिया के 2083 सेट व बीएसएनएल के क्लोज यूजर्स ग्रुप (सीयूजी) सिम भेजे गए हैं। इन्हें सीएमओ स्टोर में रखा गया है जिसे अब एक माह बाद आचार संहिता खत्म होने पर बांटा जाएगा।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन ने मातृ व शिशु मृत्यु दर पर लगाम के लिए आशा और एएनएम को तकनीकी रूप से समृद्ध करने के लिए इस साल की शुरूआत में इसकी कवायद शुरू की थी। उद्देश्य था कि आवश्यकता पड़ने पर दूर दराज गांव में बैठे-बैठे ही स्वास्थ्य कार्यकर्ता डाक्टर संपर्क कर सकें। उसे दिशा निर्देश देकर इसकी राह सुझाई जा सके। मदर चाइल्ड ट्रैकिंग शत प्रतिशत कराने में इसे कारगर मानते हुए भी तत्परता बरती जा रही थी। इस संबंध में प्रदेश भर से जिलेवार आशा व एएनएएम के आंकडे़ लिए गए थे। उन्हें मोबाइल व सिम देने के लिए भारत संचार निगम लिमिटेड से अनुबंध भी किया गया। मिशन महानिदेशक ने बीते 10 फरवरी को ही सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को जानकारी देते हुए वितरण के निर्देश जारी किए थे। अनुबंध की शर्त के अनुसार बीएसएनएल को सिम व नोकिया का मोबाइल भी शीघ्र उपलब्ध कराना था। हालांकि इसे आपूर्ति करने में एक माह से अधिक समय लग गया और इस बीच पांच मार्च को अधिसूचना जारी हो गई। इस दौरान मिले मोबाइल व सिम बांटना तो दूर नाम लेने में भी अफसर व कर्मचारी घबड़ा रहे हैं। फिलहाल जच्चा बच्चा की जान बचाने के लिए जिले की 1900 आशा, 300 एएनएम व अफसरों को मोबाइल-सिम का इंतजार है।
आशा को पढ़ाएगा भी मोबाइल
आशा को मिलने वाला मोबाइल व सिम जच्चा-बच्चा की जान तो बचाएगा ही उसे पढ़ाएगा भी। इस हाइटेक मोबाइल से कक्षा आठ पास आशा को दसवीं-बारहवीं की पढ़ाई कराई जाएगी। उस पर ही परीक्षा होगी और रिजल्ट भी आएगा। परीक्षा का परिणाम सीएमओ दफ्तर से भी जारी होगा। इस आधार पर उसे बाद में एएनएम के रूप में प्रोन्नत करने की भी तैयारी है।
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साइकिल भी अटकी
क्षेत्र भ्रमण के लिए एनआरएचएम की ओर से आशा को साइकिल देने की भी तैयारी थी। इसके लिए धन जारी होते-होते आचार संहिता लागू हो गई और फिलहाल इसका भी आशा को इंतजार करना होगा। साइकिल प्रदेश में सत्ताशीन पार्टी का सिंबल होना भी वितरण की राह में रोड़ा बना। इस देर से केंद्र व प्रदेश में सत्ता दल के कार्यकर्ता भी मन मसोस रहे हैं। उन्हें इन उपलब्धियों को गिनाने से वंचित रह जाना पड़ा है।