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सत्ता से अधिक व्यवस्था परिवर्तन जरूरी

By Edited By: Published: Mon, 14 Apr 2014 01:00 AM (IST)Updated: Mon, 14 Apr 2014 01:00 AM (IST)
सत्ता से अधिक व्यवस्था परिवर्तन जरूरी

वाराणसी : सत्ता से अधिक व्यवस्था परिवर्तन पर विचार करने की जरूरत है। 1977 में भी सत्ता का परिर्वतन हुआ परंतु व्यवस्था परिर्वतन नहीं हो पाया। जिसकी वजह से देश दुर्दशाग्रस्त है।

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राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ काशी इकाई द्वारा सनातन धर्म इंटर कालेज, नई सड़क के कंप्यूटर कक्ष में रविवार को 'सत्ता एवं व्यवस्था परिवर्तन में शिक्षकों व बुद्धिजीवियों की भूमिका' विषय पर संगोष्ठी हुई। विषय प्रवर्तन करते हुए महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष डा. दीनानाथ सिंह ने कहा कि राजनीति धन एकत्रित करने व शक्ति संग्रहण का साधन बन गई है। इसीलिए चारों तरफ भ्रष्टाचार है। मुख्य वक्ता, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टीचर एजुकेशन गुजरात के कुलपति प्रो. कमलेश पी. जोशीपुरा ने कहा कि संविधान में धर्म आधारित आरक्षण की कहीं व्यवस्था नहीं है। राष्ट्र विरोधी शक्तियां इसे संविधान में व्यवस्थित करने के प्रयास में है। समाज को अवगत कराना होगा। अध्यक्षता पुष्पा सिंह ने की। प्रो. प्रेम नारायण सिंह ने कहा कि आम आदमी ही सत्ता व व्यवस्था में परिवर्तन ला सकता है। दिनेश मणि तिवारी, डा. विश्वनाथ कुमार, डा. जितेंद्र कुमार सिंह, डा. उदय शंकर, डा. आरएन सिंह, डा. अरुण कुमार राय, डा. विजय शर्मा आदि ने विचार व्यक्त किया। दीनानाथ पांडेय ने मंगलाचरण व डा. नागेश त्रिपाठी ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन डा. हरेंद्र राय व संयोजक डा. जगदीश सिंह 'दीक्षित' ने संचालन किया।


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