दर्द दूर करने में सक्षम संगीत
वाराणसी : बीएचयू स्थित चिकित्सा विज्ञान संस्थान के न्यूरोलाजी विभाग में मंगलवार को डा. राजेश्वर आचार्य का विशेष व्याख्यान हुआ। उन्होंने कहा कि हमारी शरीर पूरी तरह संगीतमय है। हृदय, नाड़ी, मस्तिष्क आदि का स्पंदन नियत समय के अंतराल पर होता है। इसमें भी संगीत है। शरीर के लय (रिदम) में अनियमितता होने पर दर्द शुरू हो जाता है। लय टूटने पर उठे दर्द का इलाज भी रिदम ही कर सकती है, दवा नहीं। मिर्गी, डिमेंशिया, पर्किंसन, अल्जाइमर आदि रोग रिदम टूटने पर ही होते हैं। कहा कि देश की विडंबना यह है कि यहां किसी भारतीय के विचार को सुना ही नहीं जाता। वहीं कोई विदेशी कुछ बोल देगा तो उसे प्रामाणिक मान लिया जाता है। उन्होंने 'मंत्र थिरेपी' की बात कही। मंत्रों में चैतन्यता होती है। कहा कि जहां भी हमारी बुद्धि चमत्कृत होती है वहां हम 'वाह' कहते हैं। ध्वनि में चेतना को चमत्कृत करने की शक्ति होती है।
विभागाध्यक्ष प्रो. विजय नाथ मिश्र ने डा. आचार्य का स्वागत करते हुए कहा कि अभी म्यूजिक थिरेपी के जरिये न्यूरो (नसों) संबंधित रोगों के इलाज की राह देखी जा रही है। डा. आचार्य ने हाल ही में मिर्गी ठीक करने की नई राग निकाली है। बहुत जल्द यह जनता के समक्ष आम होगी।
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