प्लेटफार्म पर नहीं मिलता 'सस्ता खाना'
जागरण संवाददाता, उन्नाव : नियमों को ताक पर रखकर जंक्शन के प्लेटफार्म पर खानपान वाले स्टॉल्स पर मनमान
जागरण संवाददाता, उन्नाव : नियमों को ताक पर रखकर जंक्शन के प्लेटफार्म पर खानपान वाले स्टॉल्स पर मनमानी रहती है। यात्री यदि खाने के विषय में पूछ ले तो जवाब उल्टा मिलता है। और तो और मनमानी इस कदम हावी है कि स्टेशन पर गरीबों को बिक्री किया जाने वाला जनता खाना ही यहां नहीं है। जनता खाने की तलाश में यात्री इधर उधर भटकते हैं। स्टॉल्स पर पहुंचते हैं तो उन्हें या समोसा मिलता है या चाय।
स्टेशन छोटा हो या बड़ा। यहां पर यात्रियों के लिए संचालित किए जाने वाले खानपान व्यवस्था में जनता खाना रखना अनिवार्य है। एक पैकेट की कीमत 15 रुपये निर्धारित है। यात्रियों के बजट में रेलवे उन्हें सात पूड़ी वजन 175 ग्राम, 150 ग्राम आलू की सूखी सब्जी, आचार 15 ग्राम और हरी मिर्च एक। हालांकि, यह मैन्यू उन्नाव जंक्शन के स्टाल संचालकों ने बड़ा-बड़ा अपने काउंटर पर लिखवाया हुआ है। लेकिन, खाने के पैकेट किसी के पास पूछे जाने पर नहीं मिलता है। खानपान के स्टॉल संचालकों द्वारा जनता खाना को लेकर की जा रही अनदेखी पर रेलवे के वाणिज्य विभाग के अधिकारी मौन साधे हैं। कुछ रेलवे कर्मचारियों ने बताया कि जनता खाना खरीदने वाले को यात्रा टिकट दिखाना अनिवार्य होता है। टिकट दिखाने पर ही जनता खाने का पैकेट दिया जाता है। यहां पर यात्री को यह कहकर लौटा दिया जाता है कि ये व्यवस्था लागू नहीं है। हां, यदि वाणिज्य विभाग के अधिकारियों द्वारा कोई निरीक्षण होता है तो जरूर पैकेट स्टॉल्स पर रखे नजर आ जाते है। वो भी दिखाने के लिए। बाद में जिसे हटा दिया जाता है। इस लापरवाही पर जिम्मेदार अधिकारी बात करने को तैयार नहीं है।
समोसे की बिक्री पर कमीशन तय
जंक्शन पर अवैध वेंडर की भरमार है। आउटर से लेकर प्लेटफार्म तक उनका कब्जा है। शक्ल भी उनकी स्टेशन कर्मचारी पहचानते हैं लेकिन उनकी रोक टोक नहीं होती। इन वेंडर का एक ही मकसद रहता है वह समोसा बेचना। ये वेंडर गिरोह बनाकर समोसा प्लेटफार्म और ट्रेन में बेचते हैं। सभी का कमीशन भी तय है। लखनऊ रेल मंडल में अधिकारिक तबका बैठने की वजह से स्थानीय तौर पर स्टाफ की मनमानी रहती है।