मानक नहीं भुगतान की रहती फिक्र
संवाद सहयोगी, पाटन: लोक निर्माण विभाग के भ्रष्टतंत्र की कारगुजारी का दंश क्षेत्र की जनता टूटी सड़कों
संवाद सहयोगी, पाटन: लोक निर्माण विभाग के भ्रष्टतंत्र की कारगुजारी का दंश क्षेत्र की जनता टूटी सड़कों के रूप में झेलने को विवश है। टेंडर समेत अन्य प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद कब किस रोड का निर्माण या मरम्मत की गई, उसकी गुणवत्ता क्या रही, कितने दिन चली समेत अन्य बातों से अनजान रहने वाले विभागीय अधिकारियों ने बीते समय में कोई ¨चता की तो सिर्फ भुगतान की। करोड़ों की लागत और गारंटी वाली सड़कें भी बनने के बाद ही गड्ढायुक्त होती रहीं और कार्यदायी संस्था से लेकर विभाग तक आंख-कान बंद किए रहा। स्थिति यह है कि एकाध नवनिर्मित मार्गों को छोड़ दिया जाए तो सभी रास्तों में गड्ढे ही गड्ढे हैं।
अरसे चल रहे खनन पर प्रतिबंध के बाद भी मुख्य मार्गों से लेकर ¨लक और संपर्क मार्गों तक में दिन-रात फर्राटे भरते ओवरलोड भारी वाहनों के कारण बीते वर्षों में क्षेत्र के अधिकांश रोड पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके हैं। तहसील क्षेत्र में सर्वाधिक आवागमन वाली उन्नाव-रायबरेली राजमार्ग शासन और प्रशासन की लापरवाही का सबसे बड़ा उदाहरण है। करोड़ों की लागत से पांच वर्ष पूर्व बनवाया गया यह मार्ग वैसे तो बनने के बाद से ही उखड़ने लगा था लेकिन निर्माण कार्य जारी होने के कारण वे इसे ठीक भी करते जा रहे थे। कार्यदायी संस्था ने अपनी पंहुच के बल पर यहां से जाने के बाद फिर दोबारा इसकी मरम्मत की जहमत नहीं उठाई। स्थिति यह है कि दो वर्षों से इस मार्ग पर आवागमन कम होता गया। इधर बक्सर-सुमेरपुर मार्ग भी गंगा पुल के रास्ते आने वाले ओवरलोड वाहनो ने पूरी तरह ध्वस्त कर दिया था। हालांकि अभी हाल में इस मार्ग का उच्चीकरण कर लोगों को राहत दी गई लेकिन इस मार्ग पर भी कई स्थानों पर जं¨पग और धंसाव होता दिखने लगा है। उधर प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बनाई गई बिहार-मौरांवमार्ग, पाटन-धानीखेड़ा मार्ग, टेढ़ा-ओसियां मार्ग मानक विहीन होने के कारण पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। इसके अलावा संपर्क मार्गों की बात की जाए तो एकाध को छोड़कर सभी में अक्सर पै¨चग और पें¨टग का कार्य किया जाता रहता है लेकिन कोई भी रोड गड्ढामुक्त नहीं है।
ऐसे किया जाता रहा घालमेल
लोक निर्माण विभाग की शासन और ठेकेदारों की दुरभि संधि जगजाहिर है। स्टीमेट बनाने से लेकर भुगतान तक आंख बंद करके रखने वाले विभागीय जिम्मेदारों ने सपा के कार्यकाल में कागजों पर भले ही जांच की हो परंतु मानकों का परीक्षण करने को मौके पर नहीं गए। जेई से लेकर उच्चाधिकारियोंतक को ठेकेदारों की पंहुच का इतना भरोसा था कि किसी भी शिकायत को वे गंभीरता से नहीं लेते थे। यहां तक कि जिलाधिकारी ने भी कभी किसी निर्माण कार्य का औचक या सामान्य निरीक्षण करने की जहमत नहीं उठाई। यही कारण था कि लाखों की लागत से पें¨टग की जाने वाली सड़कें महीने भर के अंदर ही पुरानी स्थिति में आती रही।
किसी भी रोड की ठीक नहीं स्थिति
वर्तमान समय में लालकुंआ-ऊंचगांवऔर बक्सर-सुमेरपुर मार्ग को छोड़ दिया जाए तो क्षेत्र की कोई भी रोड गड्ढामुक्त नहीं है। हाल ही में कराई गई मरम्मत वाले संपर्क मार्गों में हरचंदपुर-धानीखेड़ा मार्ग, पजनखेड़ा मार्ग, पाटन-पुरवा मार्ग, शुक्लाखेड़ा मार्ग, दुबाई मार्ग, बाजपेईखेड़ा-डोकरई मार्ग, रसूलपुर-त्रिपुला मार्ग, धनकोली मार्ग, गौरा मार्ग, खीरो मार्ग, कल्याणपुर मार्ग समेत करीब सभी बनते ही उखड़ चुके हैं। जबकि इन मार्गों पर भारी वाहनों का आवागमन भी नही है।
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सभी मार्गों को गड्ढा मुक्त किए जाने संबंधी आदेश आज ही प्राप्त हुआ है। संपर्क मार्गों की पें¨टग और मरम्मत का कार्य आदमी की ¨जदगी के जैसा ही है। आदमी की औसत उम्र कितनी भी हो जैसे उसकी बीमारी की कोई गारंटी नहीं होती है, उसी प्रकार सड़क निर्माण के बाद टूटने, उखड़ने की भी कोई गारंटी नहीं होती है।
- अखिलेंद्र ¨सह, एक्सईएन लोक निर्माण विभाग