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लीड-सालों की गारंटी, कुछ महीनों में ही टूटा दम

संवाद सहयोगी, पुरवा: सड़कों से विकास की राह तो बनती पर वही जानलेवा हो जाएं तो सवाल खड़े होते हैं। ज

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Mar 2017 09:34 PM (IST)Updated: Mon, 27 Mar 2017 09:34 PM (IST)
लीड-सालों की गारंटी, कुछ महीनों में ही टूटा दम
लीड-सालों की गारंटी, कुछ महीनों में ही टूटा दम

संवाद सहयोगी, पुरवा: सड़कों से विकास की राह तो बनती पर वही जानलेवा हो जाएं तो सवाल खड़े होते हैं। जिले की पुरवा तहसील क्षेत्र में पांच सालों में कई सड़कों का निर्माण तो हुआ पर सपा सरकार का कार्यकाल खत्म होने से पहले ही उनका दम भी निकल गया। सालों की उम्र की गारंटी वाली सड़कों कुछ महीने भी न चल सकीं। क्षेत्र की सड़कों की दुर्दशा को लेकर विधान परिषद में सवाल खड़े हुए तो निर्माण की जांच कराने के बजाय मरहम के नाम पर पैचवर्क करा दिया गया वह भी कुछ माह ही चला।

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तहसील क्षेत्र में प्रधानमंत्री सड़क योजना से करीब चार करोड़ की लागत से पुरवा-सोहरामऊ सड़क राहगीरों का सफर सुहाना बनाने से पहले ही दम तोड़ गई। 21 अप्रैल 13 को शुरू होकर एक साल में बनने वाली सड़क दो साल में पूरी हो सकी। निर्माण में बड़े पैमाने पर हुई अनियमितताओं के कारण एक तरफ सड़क बन रही थी और दूसरी ओर गिट्टियां उखड़ रही थीं। तत्कालीन एमएलसी हृदय नारायण दीक्षित ने विधानपरिषद सड़क के घटिया निर्माण पर प्रश्न उठाकर जांच की मांग उठाई। पर जांच होने के बजाय गड्ढो में पैच वर्क कराकर इति श्री कर ली गई। बावजूद इसके सड़क कुछ माह बाद ही खस्ताहाल हो गई। हालांकि सड़क की पांच वर्षो तक के लिए निर्धारित की गई थी। मौजूदा समय में सड़क पर बने गड्ढे भ्रष्टाचार की कलई खोल रहे हैं।

तौरा से मौरावां तक सड़क भी कई बार मरम्मत के बाद भी सुकून का सफर न दे सकी। उन्नाव-पुरवा-मौरावां मार्ग का दो तिहाई हिस्सा करोड़ो खर्च के बाद भी राहगीरों को दर्द देता रहा। पिछले पांच साल में इस मार्ग पर तौरा से मौरावां तक करीब 23 किमी सड़क पर कई बार तीन करोड़ से अधिक धनराशि से मरम्मत कराया गया। हर बार मरम्मत के दो तीन माह बाद ही गिट्टियां उखड़ने लगी। जिससे सरकारी धन का खुलेआम अपव्यय हो गया। बीते एक साल में सड़क की दो बार मरम्मत हुई पर एक माह बाद ही पैचवर्क कर भरे गड्ढे मुंह खोलने लगे। संबंधित विभाग से लेकर जनप्रतिनिधि भी कभी फोरलेन तो कभी टू लेन सड़क बनने का झुनझुना देकर जनता को आश्वासन देते रहे। गड्ढे भरने के लिए मरम्मत के नाम पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ। बीते दिसंबर-जनवरी में पुरवा से मौरावां तक लाखों की लागत से मरम्मत कर पें¨टग की गई। मात्र एक माह बाद ही सड़क पर फिर कई जगह गड्ढे हो गए।

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18 का सफर तय करने में लगता एक घंटा

वर्ष 2013 में पीएमजेएसवाई में चयनित सड़क 2015 में पूर्ण रूप से निर्मित हुई थी। लेकिन तीन करोड़ 82 लाख की लागत से बनाई गई पुरवा-बीघापुर सड़क अपनी गुणवत्ता का प्रमाण देने से पहले दम तोड़ गई। पुरवा से करीब 10 किमी की दूरी तक अनगिनत गड्ढे राहगीरों को अधिक दर्द देते हैं। खासतौर पर दो पहिया वाहन उखड़ी गिट्टी से कई बार फिसल कर गिर चुके है। सड़क में गड्ढे के कारण उछल कर एक मौत भी हो चुकी है। लेकिन उसके बावजूद गुणवत्ता पूर्वक मरम्मत की जरूरत नहीं समझी गई। इस सड़क निर्माण के 6 महीने बाद ही कई जगहों पर गिट्टियां उखड़ने लगी थीं। जिसे पैचवर्क कर कमी ढकने का काम किया गया था। वर्ष पूरा होते-होते सड़क पर सैकड़ो गड्ढो के बीच फर्राटा भरने की उम्मीदें दम तोड़ गईं। आलम ये कि करीब 18 किमी की दूरी तय करने में एक से डेढ़ घंटे का वक्त लगता है।

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यहां भी हुआ गोलमाल

पांच वर्षों के अंतराल में पीएमजेएसवाई से बनी मौरावां-बिहार, कांथा-सोहरामऊ, पुरवा-मझिगवां, पुरवा-बिहार, मंगतखेड़ा-मिर्रीकला, उन्नाव मार्ग से मिर्जापुर सुम्भारी, सहित आधा दर्जन सड़कों पर खर्च किये गए करोडो रुपया पानी में बह गया। ये सड़कें बनने के एक वर्ष के अंदर ही दम तोड़ गई।

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राहगीरों का दर्द

सड़क निर्माण के नाम पर ठेकेदार से लेकर अधिकारियों ने जेबें भरी हैं जिस कारण से सड़कों की गुणवत्ता का मानक दरकिनार हो जाता है। एक सड़क पर बार-बार मरम्मत फिर भी आवागमन बेहतर नही। पुरवा-मौरावां मार्ग इसकी नजीर है। उसके बावजूद कोई बोलने वाला नही है। - रमेश शुक्ला

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सड़क बनते ही क्यों उखड़ने लगती है। ये न तो अधिकारी सोचते है और न ही नेता। जिससे लगता है कि सब मिलकर हो रहे गोलमाल में लिप्त रहते हैं। पुरवा-बीघापुर सड़क का हाल तो बहुत ही खराब है उसकी जांच होनी चाहिए। - मोनू कश्यप

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जनता की गाढ़ी कमाई भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती है। इसका उदाहरण पुरवा-सोहरामऊ मार्ग है। जहां सड़क बनने के एक साल के अंदर ही गड्ढे ही गड्ढे हो गए। सड़क निर्माण में जब तक कमीशनखोरी खत्म नही होगी। ऐसे ही हालात रहेंगे। - संतोष कुमार

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सड़को में गुणवत्ता देने के साथ साथ ओवरलो¨डग पर भी जब तक नकेल नही कसी जाएगी तब तक सड़को से सफर आरामदायक नही बन सकता। सड़क पर दिन प्रति दिन बढ़ते भार को ध्यान में रख मानक तय किए जाने चाहिए। - मनीष श्रीवास्तव


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