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मौत के बाद फोड़ा जाता दूसरे के सिर ठीकरा

उन्नाव, जागरण संवाददाता : एक तरफ शासन मातृ शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है

By Edited By: Published: Mon, 05 Dec 2016 01:01 AM (IST)Updated: Mon, 05 Dec 2016 01:01 AM (IST)
मौत के बाद फोड़ा जाता दूसरे के सिर ठीकरा

उन्नाव, जागरण संवाददाता : एक तरफ शासन मातृ शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है वहीं दूसरी ओर महिला अस्पताल में उपचार के अभाव में बच्चों की मौत हो रही है। हर मौत के बाद दूसरे के सिर लापरवाही की ठीकरा फोड़ महिला अस्पताल प्रशासन पल्ला झाड़ लेता है। यह हाल भी तब है जब प्रसव कक्ष में न्यूनटल कक्ष बना है जहां नवजात को आक्सीजन से लेकर वार्मर तक की सुविधा दे रखी गई है। दो माह के अंदर उपचार के अभाव में तीन नवजातों की जान जा चुकी है। हर घटना के बाद महिला अस्पताल की सीएमएस दूसरों पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ अपना व डॉक्टरों का बचाव करने में जुट जाती हैं।

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सितंबर माह में पुरवा कोतवाली क्षेत्र की एक दुष्कर्म पीड़िता के नवजात की उपचार के दौरान मौत हो गई थी। मामले में डीएम ने मजिस्ट्रेटी जांच का आदेश दिया था। जांच में भी महिला अस्पताल सीएमएस ने बच्ची को रेफर करना और परिजनों द्वारा उसे हैलट न ले जाने की बात बताई थी। यही नहीं दुष्कर्म पीड़िता मां के साथ रहे तीमारदारों ने स्वयं ले जाने की बात फाइल पर लिखा होना बता पल्ला झाड़ लिया था। अक्टूबर माह में गंगाघाट थाना क्षेत्र की एक महिला के नवजात की मौत भी उपचार के दौरान हुई थी। उस मामले में भी महिला अस्पताल की सीएमएस ने बाल रोग विशेषज्ञ न होना बता अपना पल्ला झाड़ लिया था। गत गुरुवार को पुरवा के शीतलगंज निवासी राहुल की नवजात बच्ची की उपचार के अभाव में मौत के मामले में भी अपने बचाव में सीएमएस ने ठीकरा एंबुलेंस के ईएमटी के सिर फोड़ दिया।

न्यूनटल में कक्ष में दी जा सकती थी आक्सीजन : सीएमएस डॉ. सरोज श्रीवास्तव का कहना है कि बच्ची को आक्सीजन की आवश्यकता थी इसी की कमी से उसकी मौत हुई। सवाल यह उठता है कि अगर बच्ची को मात्र आक्सीजन की कमी थी तो आक्सीजन तो प्रसव कक्ष में बने न्यूनटल कक्ष में भी दी जा सकती थी। क्योंकि वहां नवजातों के लिए आक्सीजन और वार्मर की व्यवस्था है। इसके संचालन की पूर्व में ट्रे¨नग भी दी जा चुकी है। महिला अस्पताल के प्रसव कक्ष और वार्ड में अलग से न्यूनटल कक्ष भी बना है। यहां उसे आक्सीजन क्यों नहीं दी गई इस सवाल का जवाब सीएमएस भी नहीं दे पा रही हैं।

बच्चा जन्म के समय से कमजोर था। उसका वजन कम था। खराब कंडीशन के कारण ही उसे रेफर किया गया था। रात में डॉक्टर की ऑनकाल ड्यूटी लगाई है। ऑनकाल रोस्टर तय कर दिया है जो डॉक्टर रात में नहीं आएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। - डॉ. सरोज श्रीवास्तव, सीएमएस, महिला अस्पताल।


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