वैक्सीन के लिए जिला अस्पताल का सहारा
उन्नाव, जागरण संवाददाता : एंटी रेबीज वैक्सीन की जिले के किसी भी सीएचसी पीएचसी में कमी नहीं है सभी जग
उन्नाव, जागरण संवाददाता : एंटी रेबीज वैक्सीन की जिले के किसी भी सीएचसी पीएचसी में कमी नहीं है सभी जगह लगाई जा रही है। यह दावा है सीएमओ का लेकिन हकीकत यह है कुछ अस्पतालों को छोड़ कहीं वैक्सीनेशन नहीं हो रहा है। 50-50 किमी. तक का सफर तय कर आवारा कुत्तों और बंदरों काटने का शिकार होने वाले लोगों को जिला अस्पताल आना पड़ रहा है। सीएमओ के दावों को हकीकत का आईना दिखाने के लिए जागरण ने मंगलवार को जिला अस्पताल के एंटी रेबीज वैक्सीन सेंटर पर आए लोगों से उनकी समस्या को साझा किया। जिसमें यह खुलकर सामने आया कि एक नहीं दो-दो प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भटकने के बाद भी वैक्सीन नहीं लगाए जाने पर वह जिला अस्पताल आए।
केस एक : थाना बीघापुर के गांव गनेश खेड़ा निवासी राजेश के बेटे कक्षा दो के छात्र राज 7 वर्ष को कुत्ते ने काट लिया एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने के लिए वह बीघापुर पीएचसी गया। वहां से अचलगंज सीएचसी यहां से उसे जिला अस्पताल जाने की सलाह ही मिली। लगभग 35 किमी. का सफर तय कर वह अपने पिता के साथ एंटी रैबीज वैक्सीन का टीका लगवाने जिला अस्पताल आया जहां काटने के दूसरे दिन टीका लगाया गया।
केस दो : थाना बारासगवर के गांव अहिरौरा निवासी मयाराम के बेटे सुधांशु 10 वर्ष को लेकर उसके बाबा ¨बदादीन एंटी रैबीज का वैक्सीन टीका लगवाने के लिए जिला अस्पताल आए थे। यहां रैबीज कक्ष में नंबर आने की प्रतीक्षा कर रहे बुजुर्ग ¨बदादीन ने बताया सुमेरपुर पीएचसी गया था। वहां वैक्सीन न होना कह जिला अस्पताल जाने की सलाह दी गयी। इस पर लगभग 45 किमी. का सफर तय कर आज यहां आया।
केस तीन : थाना अचलगंज के गांव कोरारी निवासी नफीस पुत्र इनामुद्दीन व इसी गांव के मजरा भवानीखेड़ा निवासी कुशेहर को गाव में घूम रहे आवारा कुत्ता ने काट लिया। दोनों लोगों का कहना था कि अचलगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गया लेकिन वहां वैक्सीन न होना बताया गया। इससे जिला अस्पताल आना पड़ा।
केस चार : थाना अजगैन के गांव वशीरतगंज निवासी इम्तियाज के पांच वर्षीय पुत्र कुलसूम व सलीम का 6 वर्षीय पुत्र समीर घर के बाहर खेल रहे थे तभी बंदरों ने उन पर हमला कर काट लिया। वशीरतगंज से दो किमी. की दूरी पर चमरौली स्वास्थ्य केंद्र हैं। लेकिन वहां वैक्सीन न मिलने पर 12 किमी. का सफर तय कर उन्हें जिला अस्पताल आना पड़ा।
एंटी रेबीज वैक्सीन की कहीं कोई कमी सीएमओ के इस दावा को हकीकत का आईना दिखाने के लिए यह चार केस तो बानगी मात्र हैं। जबकि आवारा कुत्ता और बंदरों का आतंक कायम है। उनके काटने का जख्म लेकर जिला अस्पताल पहुंची कोमल लोकनगर, आलोक मगरवारा, अमन मोतीनगर निरंजनलाल देबीखेड़ा, अभिषेक पुलिस लाइन, किरन अकरमपुर, लल्ली देबी गांव थाना मांखी भी जिला अस्पताल आयी थीं। इनका कहना है कि कुत्ता झुंड बनाकर बैठे रहते हैं कब हमला बोल दें कुछ भरोसा नहीं रहता है। बंदरों का आतंक इतना है कि घर की छतों पर जाना भी जोखिम भरा हो गया ह ।
पीएचसी में नहीं मिलती वैक्सीन : दावा भले ही हर जगह एंटी रेबीज वैक्सीन की उपलब्धता का हो लेकिन हकीकत यह है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ही नहीं अचलगंज जैसे कुछ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी वैक्सीन का टीका नहीं लगाया जा रहा है। इससे रोगियों को जिला अस्पताल की दौड़ लगानी पड़ रही है।
प्रतिदिन आते 40 नए रोगी : जिले में आवारा कुत्ता और बंदरों के काटने से होने वाले रैबीज से बचने के लिए प्रतिदिन 40 से 50 नए रोगी जिला अस्पताल आ रहे हैं। जबकि पुराने रोगियों को मिलाकर एक सौ से डेढ़ सौ लोग एंटी रेबीज वैक्सीन का टीका लगवाने जिला अस्पताल आते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार हर माह लगभग 1200 रोगियों को एंटी रेबीज वैक्सीन की डोज दी जाती है।
एंटी रैबीज वैक्सीन लगाने का आंकड़ा
माह नए रोगी
जनवरी 903
फरवरी 851
मार्च 795
अप्रैल 696
मई 873
जून 784
जुलाई 912
अगस्त 863
जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर एंटी रैबीज वैक्सीन उपलब्ध है। रैबीज के मरीजों को भर्ती करने के लिए आइसोलेशन वार्ड नहीं है इससे उन्हें लखनऊ और कानपुर भेजा जाता है। अगर किसी रोगी को प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एंटी रैबीज वैक्सीन का टीका नहीं लगाया जा रहा है तो उसकी सूचना मुझे मोबाइल नंबर 8005192700 पर सूचना दें। - डॉ. बीएन श्रीवास्तव, सीएमओ, उन्नाव
कुत्ता या बंदर काटने के बाद अगर सावधानी बरती जाए तो रेबीज के खतरे से बचा जा सकता है। रेबीज सिर्फ काटने से ही नहीं होता है। खुले घाव को कुत्ता के चाटने या उसके लार लगने से भी रैबीज हो जाता है। इस लिए यह आवश्यक है कि कुत्ता, बंदर, सियार, बिल्ली और लोमड़ी काटे तो एंटी रेबीज वैक्सीन की तीन डोज लगवाकर रेबीज के खतरे से अपनी सुरक्षा करें। - डॉ. एसपी चौधरी, सीएमएस, जिला अस्पताल।