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पानी दे पाने में असमर्थ पंप कैनाल

भगवंतनगर, संवाद सूत्र : प्रकृति ने साथ न दिया तो एक बार फिर क्षेत्र के किसानों को सिर्फ और सिर्फ बर्

By Edited By: Published: Thu, 28 Jul 2016 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jul 2016 01:00 AM (IST)
पानी दे पाने में असमर्थ पंप कैनाल

भगवंतनगर, संवाद सूत्र : प्रकृति ने साथ न दिया तो एक बार फिर क्षेत्र के किसानों को सिर्फ और सिर्फ बर्बाद ही होना होगा। बीते तीन वर्षों से लगातार राजनेताओं के गुमराह करने वाले बयानों और प्रकृति की नाराजगी का खामियाजा भुगत रहे किसान अब मौसम विभाग को दोष दे रहे हैं। बुधवार को करीब दो दर्जन किसानों ने पंप हाउस पर जाकर प्रदेश सरकार से परिवारों के जीविकोपार्जन के लिए नहर में पानी मांगा।

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इसे राजनीतिज्ञों की अनदेखी कहा जाए या फिर आम जनमानस को गुमराह करने का प्रयास, कि वे असंभव को संभव करने का प्रयास करने के बजाए बीते कई वर्षों से सिर्फ आश्वासन देकर तालियां बजवाने में जुटे रहे। बात हो रही है कुदरत ने चोट दी तो डौंड़ियाखेड़ा स्थित डलमऊ-बी-पंप नहर ने भी क्षेत्र के किसानों को बर्बाद करने में कसर नहीं छोड़ी। इस दौरान सत्तादल समेत अन्य दलों के नेताओं ने भी किसानों को लेकर महज राजनीति ही की। वास्तविकता का खुलासा बुधवार को तब हुआ जब कल्याणपुर द्वितीय समेत आसपास गांवों के करीब दो दर्जन किसानों ने पंप हाऊस डौंड़ियाखेड़ा जाकर मौके की स्थिति देखी। यहां पर चार के सापेक्ष मात्र दो मोटरें ही चलाई जा रही थीं। इनमें भी एक का पूरा पानी कई स्थानों पर पाइप में लीकेज होने के कारण वापस गांगा में ही जा रहा था। ग्रामीणों को यहां कोई जिम्मेदार व्यक्ति नहीं मिला तो उन्होंने कुछ समय तक यहां पर अव्यवस्था को लेकर प्रदर्शन किया और आगे बड़ा आंदोलन करने की बात कहकर वापस लौट गए। बता दें कि बीते कई वर्षों से लगातार सत्तादल समेत विभिन्न विपक्षी दल सूखी पड़ी नहर को लेकर राजनीति करते आ रहे हैं, लेकिन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकल सका।

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे ग्राम प्रधान कन्हैया ¨सह व साथ रहे अन्य किसानों ने कहा कि सरकार नहर में पानी छोड़ने में की जा रही लापरवाही को दूर करने के बजाए एलईडी वैन भेजकर उन्हें स्क्रीन पर भरी चल रही नहरें दिखाने का कार्य कर रही है। किसानों का कहना था कि इस बार वे मौसम विभाग द्वारा अच्छी बरसात की घोषणा किए जाने से धान की नर्सरी डालकर फंस गए। उन्होंने धान की रोपाई करने के लिए अविलंब नहर में पानी छोडे जाने की मांग शासन और प्रशासन से की है।


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