यहां लोग रिश्तेदारों को बुलाने से कतराते
उन्नाव, जागरण संवाददाता : अतिथि देवो भव:। इसके मर्म को शहर के ही एक हिस्से में रहने वाले लोग भी समझत
उन्नाव, जागरण संवाददाता : अतिथि देवो भव:। इसके मर्म को शहर के ही एक हिस्से में रहने वाले लोग भी समझते हैं पर साल के चार महीने उनके यहां 'भगवान' न ही आएं इसी की दुआ वह मांगते। और इसकी वजह माली हालत से नहीं बल्कि हालात से है जिनके बीच वह रहते हैं। हिरननगर इलाके में नर्क तो लोग पूरे साल ही भोगते पर मानसून के वक्त तो यहां दुश्वारियों की बारिश हो जाती। खाना-पीना, रहना यहां तक कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता। गंदगी और जलभराव के बीच पूरे साल ही बसर होती ¨जदगी बारिश के महीनों में जैसे घरों में कैद ही हो जाती। काम धंधा, हारी बीमारी या फिर बच्चों की पढ़ाई की मजबूरी है जिस कारण से गंदे पानी को मंझाकर निकलना पड़ता।
व्यवस्था से बेहतरी की उम्मीद टूट जाने के बाद अपनी किस्मत को कोसती महज नाम की शहरी ¨जदगी में झांकने के लिए बुधवार दोपहर जागरण की टीम पहुंची। हिरननगर से कालेज रोड के साथ ही एबी नगर मोहल्ले को जोड़ने वाली रोड की दुर्दशा को कैमरे ने कैद करना शुरू ही किया था कि लोग घरों से बाहर निकल आए और गुस्सा कहें या फिर दर्द लोग एक ही आवाज बोले, भइया कुछ नहीं होने का, लगता है कि हम शहर में नहीं किसी गंदगी वाले बाड़े में रह रहे हैं। गंदे पानी से उठने वाली सड़ांध से खाना पीना तक दूभर है। करीब दो साल से घरों का पानी गलियों में बह रहा है और बरसात होने पर गलियों का पानी किचन से बेडरूम तक भरता। सभासद, विधायक हो या फिर नगर पालिका के अधिकारी हर किसी से समस्या की निजात दिलाने की गुहार लगाई जा चुकी है लेकिन अभी तक आश्वासन के अलावा कुछ भी हाथ नहीं लगा।
अब तो दोस्त, रिश्तेदार तक आने से बचते
जलभराव का जख्म झेल रहे हेमेंद्र शुक्ल के परिवार का सबसे बुरा हाल है। सबसे पहले वही घर के बाहर निकले। सालों के दर्द को बयां करते हुए कहा कि पूरा परिवार आए दिन संक्रामक बीमारियों से पीड़ित रहता। जितना भी कमाओ सब तो दवा में ही खर्च हो जाता। बोले, बारिश के दिनों में तो कीट पतंगों का ऐसा आतंक है कि खाना परोसते ही कीड़े थाली में आ जाते हैं।
मजबूरी बना ये गंदगी वाला रास्ता
हिरन नगर की गली सालों से जलभराव का दंश झेल रही है। ये जलभराव बारिश के पानी का नहीं शहर में धड़ाम ड्रेनेज सिस्टम व नगर पालिका की लापरवाही का कारण भर है। ये हाल तब है जब इस रास्ते से एवीएम, ब्रिलियंट, न्यू ऐरा, एसवीएम, डीएसएन कालेज व आरके पब्लिक स्कूल तक जाने के लिए सैकड़ो छात्र-छात्राओं का रास्ता है। जान जोखिम में डाल निकलना मजबूरी है नहीं तो कई किलोमीटर का चक्कर जो लगाना पड़ेगा।
लोगों का दर्द
- यहां तो बिन बारिश के ही सालों से जलभराव बना हुआ है। बारिश होते ही घर नाली में तब्दील हो जाता है। जलभराव के कारण बीमारियों का घर में डेरा हो गया है। पत्नी के साथ बेटी महीनों से बीमारी से जूझ रही है। - हेमेंद्र शुक्ल
- जलभराव से उठती सड़ांध से सांस लेना दूभर होता, आए दिन खाना तक छोड़ना पड़ता। यही नहीं रास्ते की दुर्दशा रिश्तेदारों के बीच शर्मिंदगी तक का सबब बन जाती है। ईओ से लेकर विधायक तक को दर्द सुनाया पर नर्क से छुटकारा नहीं मिलता। -मनोज ¨सह
- गंदगी से गुजरना मजबूरी बन चुका है। बारिश होते ही मोहल्ले की सारी गंदगी घर के भीतर जमा हो जाती है। यही नहीं गंदगी से पटा ये रास्ता बच्चों को स्कूल जाने तक रोक रहा है। हर रोज बच्चों को स्कूल छोड़ने के बाद लेने जाने की मशक्कत करनी पड़ रही है। - सोनी
- नालियां तो बना दी गई थी लेकिन जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। नगर पालिका ने भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। आज ड्रेनेज की समस्या नासूर बन गई है। हर किसी से शिकायत हुई लेकिन हल कुछ भी नहीं निकल सका।
- हरीशंकर श्रीवास्तव।