स्वास्थ्य सेवा में जिला और फिसड्डी
उन्नाव, जागरण संवाददाता : विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों से लेकर अस्पतालों में किए जा रहे दवा उपचार क
उन्नाव, जागरण संवाददाता : विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों से लेकर अस्पतालों में किए जा रहे दवा उपचार को लेकर प्रदेश स्तर पर की गई ग्रे¨डग में अन्त: एवं वाह्य रोगियों, परिवार कल्याण कार्यक्रम, तथा जननी सुरक्षा आदि कार्यक्रमों की धीमी प्रगति ने स्वास्थ्य सेवाओं के क्रियान्वयन में जिले को ग्यारह पायदान नीचे पहुंचा दिया है। स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर की रै¨कग में जिला 53वें नंबर पर पहुंच गया है पहले ये 42वें नंबर पर था। इससे साफ जाहिर है कि जिले की स्वास्थ्य सेवाओं में गिरावट आई है।
जिले में जिला महिला और पुरुष अस्पताल को छोड़ कर 12 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इनमें गत वर्ष की तुलना में असोहा, बांगरमऊ, बिछिया, पुरवा, अचलगंज, मियागंज ब्लाक स्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में गत वर्ष की आपेक्षा ओपीडी में 20 फीसदी रोगी कम देखे गए। भर्ती रोगियों की संख्या में 30 प्रतिशत की गिरावट आई है। ब्लाक स्तरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में गंजमुरादाबाद, सुमेरपुर के अलावा, सीएचसी मगरायर व लखनापुर में तो न रोगी देखे गए और न ही भर्ती किए गए। संस्थागत प्रसवों की जगह रिफर की संख्या में इजाफा हुआ। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भवन, रैन बसेरा, रोगी आश्रय स्थल व अन्य निर्माण कार्यों में भी बीस प्रतिशत में काम नहीं हुआ। विभाग भूमि न मिलने की रिपोर्ट दे अपना बचाव करता रहा। इससे निर्माण के लिए मिला 20 प्रतिशत धन खर्च नहीं हो सका।
वित्तीय वर्ष 2015-2016 राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन ने विभिन्न कार्यक्रमों के संचालन के लिए जिले को 40 करोड़ रुपया दिया गया था। जिसमें से मात्र 24 करोड़ रुपया ही खर्च किया जा सका। 16 करोड़ रुपया स्वास्थ्य विभाग खर्च नहीं कर सका। वित्तीय वर्ष 2014- 2015 में 40363 संस्थागत प्रसव हुए जबकि 2015-2016 में 40651 प्रसव हुए। संस्थागत प्रसवों की संख्या तो बढ़ी पर अपेक्षित नहीं रही। विभाग ने यहां भी आंकड़ों की जादूगरी का खेल खेला। संस्थागत प्रसव में एक्रीग्रेड अस्पतालों में हुए 3200 प्रसवों की संख्या भी जोड़ दी। जननी सुरक्षा कार्यक्रम के तहत प्रसूताओं को मिलने वाले धन का आनलाइन भुगतान करने में सीएचसी व पीएचसी की कौन कहे महिला जिला अस्पताल ही सबसे फिसड्डी है। अभी तक 2167 प्रसूताओं का भुगतान नहीं हो सका है। परिवार काल्याण कार्यक्रमों में तो जिले की हालत सबसे खराब है। नसबंदी में तो 17 प्रतिशत ही लक्ष्य हासिल कर सका है। हलांकि प्रतिरक्षण कार्यक्रम ने जिले की लाज जरूर बचाई है। लेकिन फिर भी विश्वस्वास्थ्य संगठन के मानक से लगभग डेढ़ फीसद कम है। जिले में 69.6 प्रतिशत प्रतिरक्षण में लक्ष्य पुरा किया गया है जबकि विश्वस्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार 70.60 प्रतिशत होना चाहिए।
ओपीडी में यहां आई गिरावट
नवाबगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में वर्ष 2014-15 में 1,20,037 मरीज देखे गए थे जबकि 2015-16 में मरीजों की संख्या घटकर 91,444 रह गई।