Move to Jagran APP

स्वास्थ्य सेवाओं में जिला और हुआ फिसड्डी

उन्नाव, जागरण संवाददाता : विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों से लेकर अस्पतालों में किए जा रहे दवा उपचार क

By Edited By: Published: Thu, 26 May 2016 01:03 AM (IST)Updated: Thu, 26 May 2016 01:03 AM (IST)
स्वास्थ्य सेवाओं में जिला और हुआ फिसड्डी

उन्नाव, जागरण संवाददाता : विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों से लेकर अस्पतालों में किए जा रहे दवा उपचार को लेकर प्रदेश स्तर पर की गई ग्रे¨डग में अन्त: एवं वाह्य रोगियों, परिवार कल्याण कार्यक्रम, तथा जननी सुरक्षा आदि कार्यक्रमों की धीमी प्रगति ने स्वास्थ्य सेवाओं के क्रियान्वयन में जिले को ग्यारह पायदान नीचे पहुंचा दिया है। स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर की रै¨कग में जिला 53वें नंबर पर पहुंच गया है, जबकि गत वर्ष 42वें नंबर पर था। इस वर्ष हुई इससे साफ जाहिर है कि जिले की स्वास्थ्य सेवाओं में गिरावट आई है।

loksabha election banner

जिले में जिला महिला और पुरुष अस्पताल को छोड़ का 12 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इनमें गत वर्ष की तुलना में असोहा, बांगरमऊ, बिछिया, पुरवा, अचलगंज, मियागंज ब्लाक स्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में गत वर्ष की अपेक्षा ओपीडी में 20 फीसद रोगी कम देखे गए। भर्ती रोगियों की संख्या में 30 फीसद की गिरावट आई है। ब्लाक स्तरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में गंजमुरादाबाद, सुमेरपुर के अलावा, सीएचसी मगरायर व लखनापुर में तो न रोगी देखे गए और न ही भर्ती किए गए। वहीं संस्थागत प्रसवों की जगह रेफर की संख्या में इजाफा हुआ। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भवन, रैनबसेरा, रोगी आश्रय स्थल व अन्य निर्माण कार्यों में भी 20 फीसद भी काम नहीं हुआ। वहीं विभाग भूमि न मिलने की रिपोर्ट दे अपना बचाव करता रहा। इससे निर्माण के लिए मिला 20 प्रतिशत धन खर्च नहीं हो सका।

वित्तीय वर्ष 2015-2016 राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन ने विभिन्न कार्यक्रमों के संचालन को जिले को 40 करोड़ रुपया दिया गया था। जिसमें से मात्र 24 करोड़ रुपया ही खर्च किया जा सका। 16 करोड़ रुपया स्वास्थ्य विभाग खर्च ही नहीं कर सका। वित्तीय वर्ष 2014- 2015 में 40363 संस्थागत प्रसव हुए, जबकि 2015-2016 में 40651 प्रसव हुए। संस्थागत प्रसवों की संख्या तो बढ़ी पर अपेक्षित नहीं रही। विभाग ने यहां भी आंकड़ों की जादूगरी का खेल खेला। संस्थागत प्रसव में एक्रीग्रेड अस्पतालों में हुए 3200 प्रसवों की संख्या भी जोड़ दी। जननी सुरक्षा कार्यक्रम के तहत प्रसूताओं को मिलने वाले धन का ऑनलाइन भुगतान करने में सीएचसी व पीएचसी की कौन कहे महिला जिला अस्पताल ही सबसे फिसड्डी है। अभी तक 2167 प्रसूताओं का भुगतान नहीं हो सका है। परिवार कल्याण कार्यक्रमों में तो जिले की हालत सबसे खराब है। नसबंदी में तो 17 फीसद ही लक्ष्य हासिल कर सका है।

प्रदेश में संचालित विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों को लेकर की गई समीक्षा और ग्रे¨डग में उन्नाव 53वें नंबर पर है। जबकि गत वर्ष जिला 42वें नंबर पर था। इस तरह इस वर्ष विभिन्न कार्यक्रमों के अंकों के आधार पर जिला ग्यारह पायदान नीचे पहुंच गया है। प्रतिरक्षण कार्यक्रम ने जिले की लाज जरूर बचाई है। लेकिन फिर भी विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक से लगभग डेढ़ फीसद कम है। जिले में 69.6 फीसद प्रतिरक्षण में लक्ष्य पुरा किया गया है, जबकि विश्वस्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार 70.60 फीसद होना चाहिए।

ओपीडी में यहां आई गिरावट

नवाबगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में वर्ष 2014-15 में 1,20,037 मरीज देखे गए थे। जबकि 2015-16 में मरीजों की संख्या घटकर 91,444 रह गईं।

भर्ती रोगियों में गिरावट

अस्पताल वर्ष 2014-15 वर्ष 2015-16

नवाबगंज 7462 6046

बांगरमऊ 7396 6627

पुरवा 9298 8073

अचलगंज 2950 2563।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.