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गुटखा से गर्भ में ही 'घुट' रही पीढ़ी

अनिल अवस्थी, उन्नाव : गुटखा की लत अब देश के मुस्तकबिल को खोखला करने लगी है। महिलाओं में गुटखा खाने क

By Edited By: Published: Sun, 01 May 2016 07:54 PM (IST)Updated: Sun, 01 May 2016 07:54 PM (IST)
गुटखा से गर्भ में ही 'घुट' रही पीढ़ी

अनिल अवस्थी, उन्नाव : गुटखा की लत अब देश के मुस्तकबिल को खोखला करने लगी है। महिलाओं में गुटखा खाने की लत से शिशु के जीवन पर जन्म से पहले ही खतरा मंडराने लगता। सरकारी अस्पतालों के आंकड़े भी इसकी गवाही दे रहे हैं। स्त्री रोगों के इलाज के लिए अस्पताल आने वाली महिलाओं में 40 से 50 फीसदी गुटखा का सेवन करने वाली होती हैं। गुटखे की लत से उनके हार्मोन डिस्बैलेंस हो रहे हैं जिसका असर गर्भधारण से लेकर गर्भ में पल रहे बच्चे की ग्रोथ पर भी पड़ रहा। डॉक्टरों की मानें तो जिले की 25-30 प्रतिशत महिलाएं हार्मोन डिस्बैलेंस से होने वाली बीमारियों की चपेट में हैं।

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जिला महिला और पुरुष अस्पताल में औसतन प्रतिदिन डेढ़ से दो सौ महिलाएं दवा इलाज के लिए आती हैं। डॉक्टरों के अनुसार इनमें 40-50 फीसदी महिलाएं गुटखा का सेवन करने वाली होती हैं। महिला अस्पताल की डॉक्टरों के अनुसार औसतन प्रतिदिन 150 महिलाएं महिला स्त्री एवं प्रसूति रोग की बीमारियों से पीड़ित होकर इलाज के लिए आती हैं। इनमें लगभग 30 प्रतिशत महिलाएं जो बीमारी बताती हैं वह हार्मोनल डिस्बैलेंस से होती। इनमें गर्भधारण की समस्या लेकर आने वाली महिलाएं अधिक होती। इससे साफ है जिले की 30 प्रतिशत महिलाएं हार्मोनल डिस्बैलेंस का शिकार हैं। गायनकोलाजिस्ट सर्जन डा. संजू के मुताबिक गुटखा और पान मसाला में निकोटिन और जो पाउडर मिलाया जाता है वह स्टरलिटी बढ़ा देता है। जिससे हार्मोनल बदलाव होते हैं जिसके कारण गर्भधारण और इससे संबंधी समस्याएं आने लगती हैं। यूट्रस कैंसर तक की समस्या हो जाती है। आज महिलाओं में गर्भधारण की समस्या बढ़ने का एक कारण गुटखा और पान मसाला खाने की लत है। ओपीडी में अगर 50 महिलाएं आती हैं तो उनमें 20-25 महिलाएं पान मसाला और गुटखा खाने वाली होती हैं। इनमें 10 को मासिक और गर्भधारण में आने वाली समस्या होती है। उन्होंने स्टरलिटी बढ़ने से गर्भवती महिलाओं की कोख में पलने वाले च्च्चे की ग्रोथ पर असर पड़ता है। उन्होंने बताया कि टेस्ट ट्यूब बेबी का चलन बढ़ने का प्रमुख कारण महिलाओं में स्टरलिटी बढ़ने से आने वाले हार्मोनल बदलाव ही हैं।

जिला पुरुष अस्पताल के सीएमएस डॉ. सुशील प्रकाश चौधरी के मुताबिक स्टरलिटी बढ़ने पर महिलाओं में समय पर सेल परिपक्व नहीं होते हैं इससे उन्हें गर्भधारण में समस्या आती है। जब स्टरलिटी से टेस्टोस्टीरान बढ़ जाता हैं तो मर्दाना लक्षण बढ़ते हैं। बांझपन की समस्या का यह भी प्रमुख कारण बनता है। इससे गर्भधारण या गर्भधारण के बाद जल्दी-जल्दी समापन हो जाना जैसी समस्याओं में वृद्धि होती है।

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टेस्टोस्टीरान का दुष्प्रभाव

महिलाओं में टेस्टोस्टीरान बढ़ने पर आवाज में मोटापन आ जाता। पान मसाला और गुटखा खाने से पुरुषों में भी टेस्टोस्टीरान बढ़ता है जिससे शरीरिक दुर्बलता के साथ सेल परिपक्व न होने से भी पान मसाला और गुटखा न खाने वाली महिलाओं को गर्भधारण में समस्या आती है। उनका कहना था कि यही कारण है कि जब गर्भधारण की समस्या होती है तो पति-पत्नी दोनों का टेस्ट कराया जाता है।


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