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सावन में बरसे बदरा, मिली राहत

उन्नाव, जागरण संवाददाता: पिछले काफी दिनों से चल रही इंद्र देव की बेरुखी, अंतत: सावन के दूसरे दिन कुछ

By Edited By: Published: Sun, 02 Aug 2015 06:53 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2015 06:53 PM (IST)
सावन में बरसे बदरा, मिली राहत

उन्नाव, जागरण संवाददाता: पिछले काफी दिनों से चल रही इंद्र देव की बेरुखी, अंतत: सावन के दूसरे दिन कुछ कम पड़ी। दोपहर बाद शुरू हुई रिमझिम बरसात उमस और गर्मी से बेहाल लोगों को राहत पहुंचाने में सहायक हुई। इस बीच कहीं पर तो हलकी फुहारे ही मिली पर कहीं कहीं झमाझम बारिश ने मौसम को खुशगंवार कर दिया। हलांकि किसानों के माथे पर उभरी चिंता की लकीरे अभी भी कम नहीं हुई हैं। उनमें सूखे से बचाव की आशा जरुर जागी है।

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बरसात न होने से किसानों में जहां बाढ़ के बाद सूखा की प्राकृतिक आपदा से किसानों में जूझने की नौबत आ रही थी वहीं श्रावण माह के दूसरे दिन मौसम में कुछ बदलाव नजर आया। सुबह से दिख रही चटक धूप में दोपहर बाद लगभग साढ़े तीन बजे अचानक बादल घिरे और बारिश शुरू हो गई। इसमें शहर क्षेत्र में जहां हलकी रिमझिम बारिश ही हुई वहीं दूसरी तरफ जनपद के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में अचलगंज, बीघापुर सिकंदरपुर, गहरा, बदरका, पुरवा सफीपुर, बिछिया आदि क्षेत्रों में कुछ ही देर सही लेकिन बारिश ने लोगों के मुर्झाए चेहरों पर रौनक लौटा दी। बारिश से सबसे अधिक लाभ कई दिनों से प्रचंड उमस का सामना कर रहे लोगों को मिली। अचानक बरसात शुरू होने जो भी रास्ते में फंसा वहीं भीगता नजर आया। शहर में ही बूंदा बांदी के बीच लोगों ने भीग कर गर्मी से राहत लेने का मजा लिया।

इनसेट.....

मामूली बारिश फिर भी कीचड़ से जंग

शहर में जल निकासी की पर्याप्त व्यवस्था न होने से मामूली बूंदाबादी में ही कई सड़कों पर जलभराव और कीचड़ इतना अधिक हो गया कि लोगों का राह चलना दूभर हो गया है। शहर के ही मुख्य मार्ग छोटा चौराहा लोग नगर में जगह जगह ऐसा ही कुछ आल दिखा। इसी प्रकार एबी नगर के गीता नगर जाने वाले रास्ते पर मामूली बूंदाबादी से ही फिसलन हो गई थी कि पैदल चलने में ही लोग गिरते रहे। ऐसा ही कुछ हाल शहर के टाइप टू कालोन, कचहरी रोड़ स्टेशन रोड, गांधी नगर ईदगाह मार्ग, नहर से रामलीला मैदान जाने वाले मार्ग और बंधूहार मार्ग पर हलकी बारिश के कारण जलभराव जैसी समस्या का लोगों को सामना करना पड़ा।

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किसानों की निगाह अब आसमान पर टिकी

पहले सूखा फिर असमय अतिवृष्टि, ओलावृष्टि की मार का सामना कर चुके किसानों के सामने अब कुछ भी नहीं बचा है। फसलों के तबाह होने से वह पूरी तरह से टूटा है। अब तक मौसम के जो हालत उसके सामने हैं उससे एक बार फिर से सूखा झेलने का संकट सामने खड़ा है। ऐसे में अपनी बर्बादी का एक फिर से मंजर देखने के डर से किसान आसमान की तरफ निहार रहा है। रविवार को हुई बारिश के बाद उस मौसम से कुछ उम्मीद तो बनी है लेकिन यह उम्मीद उसे कुछ राहत दे पाएगी या नहीं इसे लेकर उसके सामने संकट अभी से मंडरा रहा है। परेशान किसानों का कहना है कि यदि इस बार भी मौसम ने उसके साथ दगा किया तो उसके सामने आत्म हत्या के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं बचेगा।


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