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टूटी पटरी से गुजरी शताब्दी समेत कई ट्रेनें

शुक्लागंज, संवादसूत्र: गुरुवार देर रात सरैया रेलवे क्रा¨सग स्थित छमक नाली में डाउन लाइन पर पटरी टूटन

By Edited By: Published: Fri, 30 Jan 2015 07:55 PM (IST)Updated: Fri, 30 Jan 2015 07:55 PM (IST)
टूटी पटरी से गुजरी शताब्दी समेत कई ट्रेनें

शुक्लागंज, संवादसूत्र: गुरुवार देर रात सरैया रेलवे क्रा¨सग स्थित छमक नाली में डाउन लाइन पर पटरी टूटने से शताब्दी समेत 12 से ज्यादा एक्सप्रेस व मेमो ट्रेनें धड़धड़ाकर गुजर गईं। पटरी टूटने की सूचना की मैन ने स्टेशन अधीक्षक को दी। सूचना पर पहुंचे पीडब्ल्यूआई ने आनन-फानन ब्लाक लेकर मरम्मत कार्य शुरू कराया। टूटी पटरी से शताब्दी समेत दर्जनों एक्सप्रेस ट्रेनें गुजरने से विभाग में हड़कंप मच गया। ऐन वक्त पर कीमैन की नजर पड़ जाने से बड़ा हादसा टल गया।

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गुरुवार देर रात करीब एक बजे सरैया रेलवे क्रा¨सग 40-एक के आगे छमक नाली में डाउन लाइन पर पोल संख्या 64/18 व 64/20 के बीच में

करीब 47 एमएम पटरी टूट गई। इस दौरान पेट्रो¨लग कर रहे की मैन की नजर जैसे ही टूटी पटरी पर पड़ी उसने इस घटना की जानकारी गंगाघाट रेलवे स्टेशन अधीक्षक को दे दी। सूचना पर रात में ही गैंगमैनों ने पहुंचकर मरम्मत कार्य शुरू किया। इसके बाद सुबह करीब पांच बजे टूटी रेल पटरी असुरक्षित होने के कारण पीडब्ल्यूआई ने पहुंचकर ठीक से मरम्मत कार्य शुरू कराया। दोपहर करीब तीन बजे 47 मिनट का ब्लाक लेकर नई रेल पटरी लगाने का कार्य किया गया। इस दौरान रात एक बजे से दोपहर तीन बजे तक डाउन लाइन पर शताब्दी एक्सप्रेस, अहमदाबाद गोरखपुर एक्सप्रेस, लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस, पुरी नई दिल्ली, फैजाबाद इंटरसिटी, रायबरेली पैसेंजर, आगरा कैंट, मरुधर एक्सप्रेस, गोरखधाम सुपरफास्ट, फर्रूखाबाद एक्सप्रेस, कोटा पटना एक्सप्रेस, तीन मेमो ट्रेनें, मालगाड़ी समेत करीब डेढ़ दर्जन ट्रेनें इस टूटी पटरी से धड़धड़ाकर गुजरीं। टूटी पटरी से शताब्दी गुजरने पर विभाग में हड़कंप मचा रहा। ब्लाक लेने के दौरान डाउन लाइन की ओर की ट्रेनों को जहां का तहां खड़ा कर दिया गया। जिससे यात्रियों को घोर दिक्कतों का सामना करना पड़ा। फिलहाल की मैन की मुस्तैदी ने एक बड़ा हादसा टाल दिया।

सपोर्ट दीवार बजा रही खतरे की घंटी

सालों पूर्व छमक नाली में लगाए गए ट्रफ अब पूरी तरह नीचे से जर्जर हो चुके हैं। वहीं छमक नाली के पुल की सपोर्ट दीवार कई जगह से दरक चुकी है। लेकिन इसके बाद भी मेंटीनेंस विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा है। रेलवे सूत्रों की मानें तो नए ट्रफ ज्यादा से ज्यादा दस साल चलते हैं। लेकिन इसके बाद भी उन्हें लगे पन्द्रह साल हो चुके हैं। इसी तरह सपोर्ट दीवार में कई जगह पेड़ निकल आए हैं जिनकी जड़े दीवार को नमी पहुंचकर दरका देती हैं। इसी कारण दरकी दीवार और जर्जर ट्रफ हर वक्त खतरे की घंटी बजा रहे हैं।


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