दम तोड़ रही सौगात में मिलीं सुविधाएं
शुक्लागंज, संवादसूत्र: करोड़ों खर्च के बाद भी सुविधाओं के अभाव में नगर का विकास दम तोड़ता नजर आ रहा है
शुक्लागंज, संवादसूत्र: करोड़ों खर्च के बाद भी सुविधाओं के अभाव में नगर का विकास दम तोड़ता नजर आ रहा है। नगर की आठ लाख की आबादी को सौगात के रूप में दी गईं सुविधाओं का मकसद सफल नहीं हो पा रहा है। नगर में सुविधाएं तो एक बड़े महानगर जैसी हैं पर उनका उपयोग नहीं किया जा सकता है। स्टेडियम, रेलवे स्टेशन व पार्क सभी कुछ है, पर इनकी उपेक्षा के चलते सभी तिल तिल कर मिट्टी में मिलने की कगार पर हैं। नगर से कुछ ही किमी की दूरी पर कानपुर स्थित हैं। नगर की आबादी मनोरंजन से लेकर अन्य सुविधाओं के लिए इसी महानगर पर निर्भर है। जिले के सांसद व विधायकों द्वारा भी कई निर्माण नगर में कराए गए पर लापरवाही के कारण प्रदेश में ख्याति प्राप्त करने वाले करोड़ों की लागत से बने निर्माण भी धूल फांक रहे हैं।
प्रथम दृश्य : नगर में प्रवेश करते ही रेलवे क्रा¨सग के पास लाखों की लागत से निर्मित तिकुनिया पार्क भी नगर के बा¨शदों के लिए बेमतलब का ही साबित हो रहा है। व्यस्त मार्ग पर स्थित पार्क सिर्फ जगह ही घेरे हुए है। पार्क में हैंडपंप से लेकर झील तक सूख चुकी है। गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। अवकाश के दिन यहां के लोगों को पार्कों की हरी घास पर बैठने के लिए कानपुर ही जाना पड़ता है। रुपयों की बर्बादी का यह भी एक उदाहरण है। इसी प्रकार बलदेव पार्क भी दुर्दशा का शिकार पड़ा हुआ है।
दूसरा दृश्य : विशाल क्षेत्रफल में सहजनी के निकट स्थित नगर के सरकारी स्टेडियम का निर्माण पूर्व सांसद देवी बक्श ¨सह ने करवाया था। इसका उद्देश्य नगर की छिपी प्रतिभाओं को सबके सामने लाने का था पर स्टेडियम उनके कार्यकाल तक भी सही सलामत न बच सका। वर्तमान में स्टेडियम अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को मजबूर है। दिन में जहां ग्राउंड की घास को जानवर चरते हैं वहीं शाम होते ही स्टेडियम अराजकतत्वों के हवाले हो जाता है।
तीसरा दृश्य : नगर की आठ लाख आबादी के लिए बने कानपुर पुल बायां किनारा अथवा गंगाघाट रेलवे स्टेशन में सुविधाओं का तांता है। न तो यात्रियों के बैठने की कोई सुविधा है, न तो लंबी यात्रा के लिए ट्रेनों की सुविधा। इसके लिए भी नगर के बा¨शदे पूर्ण रूप से कानुपर, उन्नाव या लखनऊ पर ही निर्भर करते हैं।
चौथा दृश्य : मिश्रा कालोनी स्थित विद्युत शव दह गृह का निर्माण वर्ष 1994 में हुआ था। कुछ दिनों के बाद ही बिजली का बिल देखते ही यह सुविधा भी खटाई में पड़ गई। न ही बिल जमा किया जा सका और न चालू किया जा सका। मशीने जंग खाकर बेकार हो चुकी हैं।
पांचवा दृश्य : करोड़ों रुपए की लागत से नागरिकों के सुकून के लिए गंगा किनारे स्वर्गधाम आश्रम का निर्माण करवाया गया था। शुरुआत में यहां लोगों को जमावड़ा लगता था। शंकर भगवान की बड़ी मूर्ति आकर्षण का केंद्र होती थी। अब चारों ओर अव्यवस्था व दुर्दशा ही दिखाई देती है। सांसद निधि से निर्मित इस आश्रम में जगह जगह इंटर ला¨कग उखड़ चुकी है व सुंदरता को बढ़ाने के लिए हांडियां भी चोरों ने पार कर दी। पान की मशीन भी गायब हो चुकी है व बांउड्रीवाल गिर चुकी है लेकिन यह सब जान कर भी पालिका मौन धारण किए हुए है।
छठा दृश्य : हिन्दू धर्म में पतित पावनी गंगा का विशेष महत्व है। कुछ खास पर्वो पर यहां हजारों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं, पर कही भी घाट का नामों निशान नहीं है। जिससे श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
'विद्युत शवदाह गृह को दिखवाया गया था उसकी सारी मशीनें गल चुकी हैं इसलिए इस पर नए सिरे से काम होगा। वहीं डीआरडीए ने अभी तक पालिका को स्वर्गधाम स्थानांतरण नहीं किया है इसलिए पैसे लगाने उचित नहीं होगा। इसी तरह गंगा के घाटों के लिए इसी वर्ष योजना बनाई जा रही है सारे घाट पक्के कराने के प्रयास रहेंगे। वहीं पार्को में सुंदरीकरण का काम कराया जा रहा है। '
-मनोज गुप्ता, पालिकाध्यक्ष नगर पालिका गंगाघाट