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बाग पहुंचा बाघ, भाग रे भाग

शुक्लागंज, (उन्नाव) संवादसूत्र : उन्नाव व कानपुर जिले की कटरी की सीमा में अपनी उपस्थिति से दहशत कायम

By Edited By: Published: Sat, 22 Nov 2014 07:59 PM (IST)Updated: Sat, 22 Nov 2014 07:59 PM (IST)
बाग पहुंचा बाघ, भाग रे भाग

शुक्लागंज, (उन्नाव) संवादसूत्र : उन्नाव व कानपुर जिले की कटरी की सीमा में अपनी उपस्थिति से दहशत कायम करने वाले बाघ को पकड़ने के लिए लगी 11 टीमों ने अपनी रणनीति में परिवर्तन किया है। वर्तमान में केवल छह टीमें जंगल के अंदर बाघ को पकड़ने के लिए तेजी से कां¨बग कर रही हैं। लेकिन ग्यारह दिन बीत जाने के बाद भी कोई सफलता हाथ नहीं लग सकी है।

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टीम की मानें तो कटरी का यह इलाका सुनसान है और ऐसे में बाघ को यहां रोकने के लिए हम उसके रहन सहन के अनुकूल स्थितियां पैदा करने का प्रयास करेंगे, जिससे बाघ इस इलाके से न निकल पाए और उनके जाल में फंस जाए।

गंगाघाट थानाक्षेत्र के शंकरपुर सराय गांव के रहने वाले नन्देलाल पुत्र शंकर मल्लाह ने बताया कि उसका अमरूद का बाग कन्हवापुर कटरी के इसी जंगल किनारे है। जहां पर वह शुक्रवार शाम करीब साढ़े छह बजे टिफिन लेने गया था। उसने बताया कि वह अभी टिफिन उठा ही रहा था कि कुछ ही दूरी पर बाघ तेजी से दहाड़ रहा था जिसे देख उसके होश उड़ गए। उसने बताया कि आनन-फानन भाग कर किसी तरह जान बचाई।

बाग तक बाघ के पहुंचने से आसपास के गांवों के ग्रामीण दहशतजदा है जिनके रातों की नींद उड़ गई है। फिलहाल, शनिवार को दिल्ली, लखनऊ उन्नाव की टीम के साथ कानपुर वन विभाग की टीम ने बाघ को पकड़ने के लिए दिनभर कां¨बग की। लखनऊ प्राणी उद्यान के डिप्टी डायरेक्टर डा.उत्कर्ष शुक्ला, कानपुर मुख्य वन संरक्षक अधिकारी केआर यादव आदि ने बताया कि शनिवार को सुबह चार बजे से जंगल में कां¨बग की जा रही थी लेकिन कुछ स्थानों पर ताजा बाघ के पंजों के निशान मिले जिससे उसके मूवमेंट की जानकारी हुई है। उन्होंने बताया कि उसे पकड़ने के लिए ¨पजड़े कटरी में पहुंचा दिए गए हैं। बताया कि जिन स्थानों पर नाइट विजन कैमरे लगाए गए थे उसके स्थान चेंज कर दिए जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि कटरी का यह सुनसान इलाका इस बेहद चालाक बाघ को पकड़ने के लिए पूरी तरह से मुफीद है।

दहशतजदा ग्रामीणों की उड़ी रातों की नींद

अमरूद के बाग तक पहुंचने व पहाड़ीपुर गांव में बछिया को मारने के बाद से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। रात के वक्त ग्रामीण गांव के बाहरी किनारों पर अलाव जला कर रात भर हाथों में लाठी डंडे, हंसिया लेकर रतजगा कर रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार पूरे गांव में दहशत का माहौल व्याप्त है और रात के वक्त सारे ग्रामीण एक जगह पर एकत्रित होकर आग जलाकर तापते हैं।

टीम आबादी का रख रही ख्याल

जंगल में बाघ को पकड़ने के लिए पहले 11 टीमें लगी थी। लेकिन वर्तमान में जंगल में छह टीमें ही लगी हैं। अन्य पांच टीमें आबादी क्षेत्र की बाहरी सीमा पर लगाई गई हैं। जिससे बाघ भागने पर आबादी क्षेत्र में न प्रवेश कर सके।

तीन दिन से नहीं किया शिकार

अधिकारियों की मानें तो पिछले तीन दिनों से बाघ ने किसी भी जानवर का शिकार नहीं किया है। उनकी मानें तो बाघ को पकड़ने के लिए उन लोगों ने पेड़ों से अलग-अलग स्थानों पर दो बछियों को बांध दिया था। लेकिन उसने आसपास होने के बाद बी शिकार नहीं किया।

मंदिर तक फिर पहुंचा बाघ

वन विभाग कर्मियों ने बताया कि शनिवार सुबह करीब नौ बजे बाघ के ताजे पंजे कटरी के जंगल में स्थित दुर्गा मंदिर के पास देखे गए हैं। जिससे उसके इसी जंगल में होने की पुष्टि पूरी तरह से हो गई।


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