अन्नदाता पर सूखे का संकट, हालात भयावह
अचलगंज, संवादसूत्र:
अवर्षण की काली छाया से अन्नदाता संकट में है। हाड़तोड़ मेहनत व लागत से बोई गई खरीफ की फसलें तैयार होने के पहले ही सूख चुकी हैं। मक्का, धान, तिलहनी और दलहनी फसलें बगैर पके ही सूखे की भेंट चढ़ रही हैं। इस समस्या के आगे किसान लाचार हो अपने भाग्य को कोष रहा है। सूखी नहरें, बदहाल विद्युत व्यवस्था व बढ़े डीजल के दाम समस्या को और भयावह बना रहे हैं।
घाघ की कहावतों में उत्तम खेती आज किसानों के लिए बेहद घाटे का सौदा साबित हो रही हैं। खेती पर आश्रित परिवार भुखमरी की कगार पर खड़े हैं। इनसे जुड़ी युवा पीढ़ी रोजगार पाने को गांव से पलायन कर चुकी है। ग्राम मनोहरपुर के किसान केशव यादव, कुमारपुर के शैलेन्द्र कुमार, गड़ारी के राम चन्द्र शुक्ल, मवइया लायक के सुशील कुमार ने कहा आषाढ़ सावन के बाद आधा भादों बीतने के कगार पर है। एक दिन भी ठीक से बरसात नहीं हुई है। सूखे की काली छाया से किसानों का भविष्य भी संकट में है। यह फसल तो चली ही गई। इसका असर रबी पर भी परिलक्षित होता नजर आ रहा है।
सूखे का सर्वाधिक असर पशुओं के चारे पर भी है। हरा चारा बोई गई मकाई ज्वार चरी सूखने से हरे चारे का अकाल हो गया है। इतना ही नहीं हरी घास भी सूखकर पानी के अभाव में जहरीली हो गई है। इसका प्रमाण धन्नीपुर गांव में सामने आया है। यहां के पशु पालक साजन तिवारी की दो पड़िया सोमवार को घास चरने के बाद शाम को घर लौटी। मंगलवार को सुबह मृत पाई गई। इसका कारण विषैली घास चरने से यह घटना होना माना जा रहा है।
सूखे के चलते बोई गई सब्जी की फसल लौकी, तरोई, सीताफल, परवल, कुदरू, खीरा, टिंडा, मूली को बचाना मुश्किल हो रहा है। किसानों ने कहा कि नहरें भी सूखी हैं। बिजली के अभाव में नलकूप भी ठूठ बने हैं। 62 रुपया लीटर डीजल से सिंचाई कर सब्जी उगाने पर लागत भी नहीं बचेगी। धान, उरद, मूंग, तिल्ली, मक्का व अरहर सूखने से किसान अपने भाग्य व इन्द्रदेव को कोष रहा है। प्रशासन सूखे से निपटने में बेपरवाह हो बाढ़ से निपटने की तैयारी कर रहा है।