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कार्रवाई की मांग कर रहे ग्रामीणों पर पुलिस ने भांजी लाठी

By Edited By: Published: Wed, 23 Apr 2014 10:29 PM (IST)Updated: Wed, 23 Apr 2014 10:29 PM (IST)
कार्रवाई की मांग कर रहे ग्रामीणों पर पुलिस ने भांजी लाठी

उन्नाव, जागरण संवाददाता: मंगलवार देर शाम माखी थाना क्षेत्र के मुलुक गड़ार में घरेलू विद्युत लाइन में हाईवोल्टेज आने से जहां एक युवक की मौत हो गई और आधा दर्जन से अधिक लोग गंभीर रूप से झुलस गए। घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने बुधवार को लखनऊ कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर शव रखकर दोषी बिजली विभागीय कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही व मुआवजे की मांग लेकर ग्रामीणों ने सोनिक नहर के निकट राजमार्ग पर शव रखकर जाम लगा दिया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने पहले तो जाम खुलवाने के लिए लोगों को समझाने के प्रयास किए लेकिन जब किसी ने नहीं सुनी तो पुलिस ने लाठी भांजनी शुरू कर दी। इससे घटना स्थल पर भगदड़ मच गई। जाम प्रदर्शन खत्म होते ही पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। इधर पुलिस की लाठी से आधा दर्जन लोगों को गंभीर चोटे भी आयी हैं।

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इस गांव में बीते 3 माह से बिजली नहीं आ रही थी। मंगलवार देर शाम अचानक बिजली आयी। तो हाई वोल्टेज करंट आ गया। तभी अपने अपने घरों की बिजली दुरस्त करने में लगे ग्रामीणों में मेजर सिंह के पुत्र पंकज सिंह (24) जो घटना के समय घर के बिजली का टूटा तार जोड़ रहा था उसकी चपेट में आने से मौत हो गई। जबकि हाईवोल्टेज से सुलग रहे उपकरणों को बचाने में ग्रामीण अजय 20 पुत्र बुद्धीलाल रावत, शारदा 38 पत्‍‌नी मुन्ना सिंह, रोशनी 16 पुत्री श्याम निगम के अलावा गांव के ही पूसू व लाखन की पत्‍‌नी करंट की चपेट में आकर झुलस गई। इनमें से अजय की हालत गंभीर होने पर उसे लखनऊ के किसी निजी अस्पताल में भर्ती कराया है। जबकि बाकी के लोग गांव और उसके आसपास के चिकित्सकों से इलाज करा रहे हैं।

घटना के बाद बुधवार ग्रामीण शव को ट्रैक्टर ट्राली से लेकर जिला अस्पताल जा रहे थे तभी सोनिक स्थित विद्युत उपकेंद्र के निकट घटना से नाराज ग्रामीणों ने राजमार्ग पर शव रखकर जाम लगा दिया और मृतक व झुलसे लोगों को मुआवजा और दोषी अभियंताओं के विरुद्ध कार्यवाही करने की मांग कर रहे थे। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को उठवाने के लिए ग्रामीणों का समझाने का प्रयास किया लेकिन ग्रामीण पुलिस की बात सुनने के लिए तैयार नहीं हुए। काफी देर तक समझाने के बाद वहां मौजूद शहर कोतवाली प्रभारी धर्मेद्र सिंह रघुवंशी, माखी थानाध्यक्ष मनोज सिंह, अजगैन थानाध्यक्ष बेनीमाधव त्रिपाठी, सोहरामऊ थानाध्यक्ष जेपी सिंह समेत कई थानों का पुलिस बल मौके पर पहुंच गया। कुछ देर तक समझाने के बाद पुलिस ने अपनी लाठियां तैयार की और जाम प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों पर बरसानी शुरू कर दी। कुछ ही देर में जाम प्रदर्शन कर कार्रवाई की मांग कर रहे ग्रामीण पुलिस की लाठियों के चक्कर में वहां से तितर बितर हो गए। इसके बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। वहीं पुलिस द्वारा किए गए लाठी चार्ज में आधा दर्जन ग्रामीणों को गंभीर चोटे आयी हैं। पुलिस कार्यवाही के बाद बेबस ग्रामीण जिला अस्पताल पर पहुंचे और वहां पर लोगों को आपबीती सुनाई।

सात माह के अंदर तीसरा हादसा

मंगलवार को करंट की चपेट में आने से हुई पंकज की मौत और छह लोगों के झुलसने की यह कोई पहली घटना नहीं है। बल्कि इससे पहले भी विभागीय लापरवाही के कारण बीते सात माह के अंतराल में यह करंट से झुलस कर घायल होने जैसा तीसरा हादसा है। ग्रामीणों का आरोप है कि गांव की बदहाल बिजली व्यवस्था को लेकर कई बार विभागीय अभियंता से शिकायत दर्ज करायी लेकिन आज तक किसी ने कोई सुनवाई नहीं की। इससे आए दिन इस प्रकार के हादसे होते रहते हैं।

तीसरे दिन ही सूनी हो गई मांग

करंट की चपेट में आए पंकज का बीती 19 अप्रैल को विवाह हुआ था। पंकज 20 अप्रैल को पत्‍‌नी साधना को विदा करा कर घर लौटा था। साधना के हाथों की मेहंदी का रंग अभी हलका भी पड़ता कि उससे पहले ही विधाता ने उसके घर संसार को संवरने से पहले ही उजाड़ दिया। मात्र तीन दिन के वैवाहिक जीवन में साधना कुछ समझ पाती कि उससे पहले ही पंकज की मौत ने उसका सब कुछ उजाड़ दिया। घटना के बाद जहां साधना का हाल पागलों से है वह कभी अपने हाथों की मेहंदी को देखती तो भी घर के अंजान चेहरों की तरफ निहार अपना कसूर पूछते हुए सिर पटक पकने लगती।

बरात से आते ही पति अस्पताल पहुंचा

बताते हैं कि करंट की चपेट में गंभीर रूप से झुलसे अजय का विवाह 21 को ही हुआ था और वह घटना से कुछ समय पहले ही बारात को विदा करा कर वापस लौटा था। कि हादसे का शिकार हो गया।

शिकायतों के बाद भी नहीं सुनी विभाग ने

बताते हैं कि बीते मंगलवार को हुई घटना को लेकर ग्रामीण काफी समय से आशंकित थे। इसे लेकर उन लोगों ने एक नहीं दर्जनों बार विद्युत व्यवस्था को ठीक करने की मांग की थी लेकिन विभाग ने उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं नहीं दिया। ग्रामीणों का आरोप था कि तीन माह से ट्रांसफार्मर फुंका पड़ा था। इसे बदलने के लिए अभियंता से मांग की तो वह पैसे की मांग कर रहे थे। जब पैसे नहीं दिए गए तो उन्होंने लापरवाही से ट्रांसफार्मर लगा कर समस्या को और गंभीर कर पूरे गांव को खतरे में डाल दिया।


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