बरसात ने बढ़ाए सेप्टीसीमिया के मरीज
उन्नाव, नगर संवाददाता : बरसात ने सेप्टीसीमिया के मरीज बढ़ा दिए हैं। अस्पताल आने वाले एक वर्ष तक आयु के बीमार बच्चों में 50 प्रतिशत मरीज सेप्टीसीमिया के होते हैं। गुजरे दो माह के अंदर सेप्टीसीमिया रोग से ग्रसित 157 बच्चों का उपचार जिला अस्पताल में किया गया है। डाक्टरों की मानें तो सेप्टीसीमिया का खतरा सबसे अधिक नवजात शिशुओं में रहता है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. बृज कुमार ने बताया कि बरसात में यह रोग तेजी से फैलता है। सावधानी बरत कर बच्चों को इस बीमारी से बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अस्पताल में सभी दवाएं हैं लेकिन इलाज लंबे समय तक चलता है। उनका कहना था कि एक सौ बीमार बच्चों में 40 से 50 बच्चे सेप्टीसीमिया के आ रहे हैं।
क्या है सेप्टीसीमिया
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. बृज कुमार ने बताया कि इस रोग में बच्चों के शरीर में जहर फैलने लगता है इससे उनके शरीर पर फोड़े, फुंसी, लाल चकत्ता पड़ते हैं बाद में बुखार तथा उल्टी दस्त आते हैं।
कैसे फैलता रोग
बाल रोग विशेषज्ञ डाक्टर बृज कुमार ने बताया कि नवजात शिशुओं और एक वर्ष तक की आयु के बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है। बच्चों को बार गंदे हाथों से छूने तथा बोतल से दूध पिलाने के कारण अथवा गंदे कपड़ों में रखने से यह रोग होता है। उन्होंने बताया यह रोग सबसे अधिक बरसात के मौसम में फैलता है। सेप्टीसीमिया होने के बाद बच्चे को टायफायड और निमोनिया आदि वायरल डिजीज हो जाती है।
कैसे करें बचाव
डाक्टर के अनुसार नवजात शिशुओं को बार-बार गंदे हाथ से नहीं छूना चाहिए। बच्चे को छूने से पहले साबुन से हाथ धो लें। अगर ऊपर का दूध पिलाना है तो गरम करने के बाद कटोरी चम्मच से दूध पिलाएं। बच्चे को गंदे कपड़े में लपेट कर रखे और न ही गीले कपड़े में लिटाए। बच्चे को फुल आस्तीन के कपड़े पहनाए और मच्छरदानी में रखे।
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